पिछले कुछ दिनों से नीट यूजी (NEET UG) परीक्षा को लेकर देशभर में चर्चा और विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। यह परीक्षा मेडिकल की पढ़ाई के लिए अंडरग्रेजुएट स्तर पर प्रवेश के लिए आवश्यक है। हाल ही में संपन्न 2024 नीट यूजी परीक्षा में कई गड़बड़ियों के कारण विवाद खड़ा हो गया है। आइए, इस पूरी घटना को विस्तार से समझते हैं।
नीट यूजी परीक्षा का महत्व
नीट यूजी (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट अंडरग्रेजुएट) परीक्षा देशभर में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए एकमात्र माध्यम है। 12वीं कक्षा पास करने के बाद मेडिकल की पढ़ाई (एमबीबीएस) करने के इच्छुक छात्रों को यह परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इस परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा किया जाता है, जो देशभर में एक समान और पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए स्थापित की गई थी।
2024 नीट यूजी परीक्षा का विवाद
2024 की नीट यूजी परीक्षा 5 मई को आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने भाग लिया था। परीक्षा का परिणाम 4 जून को घोषित किया गया। हालांकि, परिणाम के साथ ही कई गड़बड़ियों और अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं, जिसके कारण छात्रों और अभिभावकों के बीच व्यापक असंतोष फैल गया।
परीक्षा में गड़बड़ियों का आरोप
- उच्चतम स्कोर पर विवाद: इस साल पहली बार 67 छात्रों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए, जो परीक्षा के इतिहास में अभूतपूर्व था। आमतौर पर, केवल कुछ ही छात्र पूर्ण अंक प्राप्त कर पाते हैं। इतनी बड़ी संख्या में पूर्ण अंक प्राप्त करने पर संदेह जताया गया और इसे पेपर लीक का परिणाम बताया गया।
- ग्रेस मार्क्स का मुद्दा: परीक्षा के दौरान देश के छह सेंटरों पर टाइमिंग में गड़बड़ी के कारण 1563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। इसके परिणामस्वरूप, कुछ छात्रों के अंक 718 और 719 हो गए, जो सामान्य परिस्थितियों में संभव नहीं है क्योंकि एक गलत उत्तर पर निगेटिव मार्किंग होती है।
- रिजल्ट की तारीख पर संदेह: रिजल्ट की घोषणा 14 जून को होनी थी, लेकिन इसे 10 दिन पहले 4 जून को घोषित कर दिया गया। इसके पीछे के कारणों पर सवाल उठाए गए।
- पेपर लीक के आरोप: बिहार में पेपर लीक के आरोपों के चलते कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई। यह आरोप लगाया गया कि कुछ उम्मीदवारों ने पैसे देकर प्रश्न पत्र खरीदे थे।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां छात्रों ने परीक्षा को दोबारा आयोजित करने की मांग की। छात्रों ने यह भी कहा कि ग्रेस मार्क्स के कारण कुछ छात्रों को अनुचित लाभ मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्रीय सरकार और NTA से स्पष्टीकरण मांगा।
केंद्रीय सरकार का उत्तर
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे 1563 छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स को वापस ले रहे हैं। इसका मतलब है कि जिन छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, उनके अंक पुनः गणना किए जाएंगे। इसके साथ ही, उन छात्रों को परीक्षा दोबारा देने का विकल्प भी दिया जाएगा। यह रीटेस्ट 23 जून को आयोजित होगा और परिणाम 30 जून को घोषित किए जाएंगे।
काउंसलिंग प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया। काउंसलिंग प्रक्रिया नियत समय पर चलेगी, और केवल 1563 छात्रों को ही रीटेस्ट का विकल्प मिलेगा।
छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
हालांकि केंद्र सरकार ने कुछ छात्रों के लिए रीटेस्ट की व्यवस्था की है, लेकिन व्यापक असंतोष अभी भी बरकरार है। हजारों छात्र और अभिभावक पूरे परीक्षा को दोबारा आयोजित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पेपर लीक के आरोपों पर अभी भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
निष्कर्ष
नीट यूजी परीक्षा के इर्द-गिर्द उठे विवाद और गड़बड़ियों ने पूरे परीक्षा तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, सरकार ने कुछ सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन व्यापक सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। छात्रों का भविष्य सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसके लिए एक पारदर्शी और विश्वसनीय परीक्षा प्रणाली आवश्यक है।
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