नया कानून और पेपर लीक की रोकथाम

परिचय:

आपको याद होगा कि इस साल की शुरुआत में पार्लियामेंट में एक बिल पास हुआ था, जो कि पेपर लीक से संबंधित था। हाल ही में, पेपर लीक को लेकर काफी विवाद उठे हैं, जिससे निपटने के लिए सरकार ने इस बिल को कानून के रूप में नोटिफाई कर दिया है। इसे “पब्लिक एग्जामिनेशन प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मींस एक्ट 2024” के नाम से जाना जाता है।

कानून की प्रमुख विशेषताएँ:

यह कानून विभिन्न प्रकार के अनुचित साधनों को प्रतिबंधित करने के लिए बनाया गया है, विशेष रूप से चीटिंग और संगठित अपराधों को रोकने के लिए। यदि कोई व्यक्ति चीटिंग करता है या किसी संगठित गैंग का हिस्सा बनकर चीटिंग में संलिप्त होता है, तो उसे कड़ी सजा और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

कानून के प्रावधान:

  1. अनफेयर मींस की परिभाषा:
    • 15 विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को अनुचित साधन माना गया है, जैसे प्रश्न पत्र का लीक होना, आंसर शीट के साथ छेड़छाड़, या किसी और को परीक्षा देने के लिए भेजना।
    • यदि कोई व्यक्ति प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी लीक करता है, तो उसे सजा दी जाएगी।
    • ओएमआर शीट या कंप्यूटर नेटवर्क में छेड़छाड़ भी अपराध मानी जाएगी।
    • नकली वेबसाइट बनाना या फर्जी एडमिट कार्ड जारी करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
  2. सजा और जुर्माना:
    • अनफेयर मींस के तहत अपराध करने पर 3 से 5 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
    • संगठित अपराध के लिए, 5 से 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है।
  3. कॉग्निजेबल और नॉन-बेलेबल:
    • इस कानून के तहत अपराध को कॉग्निजेबल, नॉन-बेलेबल, और नॉन-कंपाउंडेबल माना गया है। इसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और बेल पाना मुश्किल होगा।

पब्लिक एग्जामिनेशन की परिभाषा:

  • इस कानून के तहत, सार्वजनिक परीक्षाएं उन परीक्षाओं को कहा जाएगा जो केंद्रीय या राज्य सरकारों द्वारा आयोजित की जाती हैं।
  • वर्तमान में, पांच प्रमुख एग्जामिनेशन अथॉरिटीज़ को पब्लिक एग्जामिनेशन के रूप में मान्यता दी गई है:
    • यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC)
    • स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC)
    • रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB)
    • इंस्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनेल सिलेक्शन (IBPS)
    • नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA)

कानून की प्रभावशीलता और चुनौतियाँ:

हालांकि इस कानून का उद्देश्य पेपर लीक को रोकना है, कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसका प्रभाव सीमित हो सकता है। कई राज्यों में पहले से ही ऐसे कानून मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद पेपर लीक की घटनाएँ लगातार हो रही हैं।

उदाहरण के तौर पर:

  • राजस्थान में 2 साल पहले एंटी चीटिंग लॉ पास किया गया, जिसमें सख्त सजा का प्रावधान था, लेकिन इसके बावजूद पेपर लीक की घटनाएँ जारी रहीं।
  • आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, और उत्तराखंड में भी ऐसे कानून मौजूद हैं, फिर भी पेपर लीक की घटनाएँ हो रही हैं।

समस्याओं का समाधान:

  • कानून के सख्त प्रावधान के बावजूद, जब तक इनका सही से इंप्लीमेंटेशन नहीं होता, तब तक पेपर लीक को रोक पाना मुश्किल होगा।
  • सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ कानून बनाकर छोड़ न दे, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए ठोस कदम उठाए।
  • टेक्नोलॉजी का सही उपयोग करके, परीक्षा प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
  • परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा को मजबूत करना, सभी संभावित लूपहोल्स को बंद करना और अपराधियों को कड़ी सजा देना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:

यह नया कानून “पब्लिक एग्जामिनेशन प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मींस एक्ट 2024” सही दिशा में उठाया गया कदम है, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार को और भी कड़े और प्रभावी कदम उठाने होंगे। हमें उम्मीद है कि इस कानून के साथ-साथ सरकार की जागरूकता और दृढ़ता से पेपर लीक जैसी गंभीर समस्याओं पर अंकुश लग सकेगा और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सकेगा।

सन्दर्भ :-

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