बच्चों को रोटी नहीं-आर्मी को ड्रोन! पाकिस्तान में रक्षा बजट को 18% बढ़ाने का फैसला क्या बता रहा?

पाकिस्तान का ‘गोलों’ पर जोर, ‘किताबों’ की अनदेखी – 18% बढ़ा रक्षा बजट

पाकिस्तान एक बार फिर दुनिया की आंखों में सवाल बनकर खड़ा है। नकदी संकट, 38% से ऊपर महंगाई, और कर्ज में डूबा देश अब अपने रक्षा बजट में 18% की बढ़ोतरी कर 2.5 लाख करोड़ रुपये के पार ले गया है।

आर्थिक हालात बेहाल, लेकिन हथियारों पर दिलदार

जब IMF से बेलआउट लेना पड़ा हो, विदेशी मुद्रा भंडार तीन महीने के आयात लायक बचा हो, तब इस बजट वृद्धि ने पाकिस्तान की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोन-टू-GDP रेशियो 73.6% पहुंच गया है, फिर भी फौज के लिए खजाना खुला है।

शिक्षा-स्वास्थ्य को किया नजरअंदाज

GDP का सिर्फ 2% शिक्षा और 1.3% स्वास्थ्य पर खर्च हो रहा है। यानी पाकिस्तान ने राइफल को किताब और दवा से ऊपर रखा है।

भारत से तनाव का बहाना?

भारत के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। सीजफायर से टकराव थमा, लेकिन पाकिस्तान ने इसे आर्मी बजट बढ़ाने का आधार बना लिया।

मिलबस’: फौज का बिजनेस साम्राज्य

सेना सिर्फ सीमा पर नहीं, बाजार में भी सक्रिय है। फौजी फाउंडेशन, DHA, वेलफेयर ट्रस्ट्स जैसे संस्थानों के ज़रिए रियल एस्टेट से बैंकिंग तक हर क्षेत्र में सेना की मौजूदगी है। अनुमान है कि सेना 12% जमीन पर नियंत्रण रखती है। इन संस्थानों को टैक्स रियायतें और सरकारी छूट मिलती हैं, लेकिन जवाबदेही न्यूनतम है।

नतीजा:

जनता को मिल रही है महंगाई, बेरोजगारी और असुरक्षा। वहीं, सेना बनी हुई है सबसे ताकतवर संस्था – सत्ता पर परोक्ष नियंत्रण बनाए रखते हुए।