सूत्रों के अनुसार, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई फोन कॉल के दौरान यह फैसला लिया गया कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल मॉस्को जाकर रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान के लिए शांति वार्ता करेंगे। यह वार्ता वैश्विक स्तर पर भारत की कूटनीति और शांति प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस यात्रा की तारीख और कार्यक्रम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यह दौरा जल्द ही होगा।
मोदी की कूटनीतिक सक्रियता
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दो महीनों में रूस और यूक्रेन के नेताओं, व्लादिमीर पुतिन और वलोडिमिर ज़ेलेंस्की, दोनों से मुलाकात की थी। उनकी इस पहल को लेकर दुनिया भर की निगाहें भारत पर टिकी हैं, खासकर ऐसे समय में जब युद्ध विराम की संभावना और दोनों पक्षों के बीच समझौते की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से हुई फोन कॉल में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कीव यात्रा के दौरान यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से हुई चर्चा का जिक्र किया और यह साफ किया कि भारत, कूटनीतिक और राजनीतिक तरीकों से शांति लाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने हमेशा संघर्ष का स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान निकालने की वकालत की है, और यही संदेश प्रधानमंत्री ने फोन कॉल के दौरान दिया।
रूस और भारत का संवाद
रूसी दूतावास के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन ने इस फोन कॉल में कीव और पश्चिमी देशों की नीतियों की आलोचना की और रूस की दृष्टिकोण से इस संघर्ष के समाधान की दिशा पर भी चर्चा की। पुतिन ने भारत को उन कुछ देशों में से एक माना है जो इस संघर्ष के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने चीन और ब्राजील के साथ भारत का भी जिक्र किया, जो इस मुद्दे पर संपर्क में हैं।
वैश्विक समर्थन
भारत की इस मध्यस्थता की भूमिका को वैश्विक नेताओं का भी समर्थन मिला है। इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि चीन और भारत जैसे देशों की भूमिका इस संघर्ष को सुलझाने में अहम हो सकती है। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक मंच पर शक्तियों को विभाजित कर दिया है, लेकिन भारत ने लगातार तटस्थ रहते हुए शांति के पक्ष में आवाज उठाई है।
मोदी की शांति के प्रति प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर भी इस संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया है। यूक्रेन में अपनी पिछली यात्रा के दौरान, मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि “भारत कभी तटस्थ नहीं रहा, हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं।”
यह कूटनीतिक पहल एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि भारत, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित है।