“चार्जशीटेड IPS बना चिरांग का SP – कानून अब वर्दी देख कर काम करता है?”
14 साल की बच्ची से यौन शोषण का गंभीर आरोप, CID की चार्जशीट, पुख़्ता सबूत – फिर भी IPS गौरव उपाध्याय साहब को प्रमोशन!
ना गिरफ्तारी, ना सस्पेंशन – उल्टा SP की कुर्सी थमा दी गई।
अब यही सिस्टम संत आसाराम बापू जी पर बिना ठोस सबूतों के POCSO लगाकर उन्हें आजीवन जेल में डाल देता है।
उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल, पुलिसिया दबाव और झूठे गवाह – सब चलता है।पर जब आरोपी अफसर हो, तो सरकार कहती है – “सेवाओं में रहेंगे, कोर्ट का इंतज़ार करेंगे।”
क्या यही न्याय है?
क्या कानून अब वर्दीधारियों का गुलाम हो गया है?
संत आसाराम बापू जी ने लाखों युवाओं को नशे से बचाया, समाज को दिशा दी, और आज वो एकतरफा फैसले का शिकार हैं।जबकि चार्जशीटेड अफसरों को कुर्सियाँ मिल रही हैं।
निष्कर्ष:
POCSO अब न्याय का हथियार नहीं, चुनिंदा लोगों को फंसाने और बचाने का औज़ार बन गया है।