प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक समूह ने शनिवार को यहां प्रदर्शन कर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
पनुन कश्मीर, कश्मीरी समिति दिल्ली, ‘रूट्स इन कश्मीर’, ‘कश्मीरी पंडित कॉन्फ्रेंस’ और ‘यूथ फॉर पनुन कश्मीर’ ने जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन दशकों के दौरान आतंकवाद का शिकार हुए कश्मीरी हिंदुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘शहीद दिवस’ मनाने को लेकर जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए, जिसमें विस्थापित समुदाय द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों में भाग नहीं लेने का आह्वान किया गया। कश्मीरी पंडित चुनाव को समुदाय की ‘आकांक्षाओं और अधिकारों’ के लिए निरर्थक मानते हैं।
आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए श्वेत पत्र जारी करने संबंधी वादे वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी घोषणापत्र का संदर्भ देते हुए प्रदर्शनकारियों ने प्रस्ताव में कहा कि श्वेत पत्र जारी करने के बजाय समुदाय, नरसंहार की जांच करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग के गठन की मांग करता है।
जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान तीन चरणों 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को होगा तथा नतीजों की घोषणा आठ अक्टूबर को की जाएगी।