लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जारी बहस में भाग लिया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत भगवान शिव का चित्र दिखाकर की। उन्होंने कहा, “हम सब भगवान शिव की शरण में थे और उन्होंने हमें विष पीने की क्षमता दी।” राहुल ने अपने राजनीतिक हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भी कई विष पीए हैं।
राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, “शिवजी कहते हैं कि डरो और डरोओ मत। लेकिन जो अपने आप को हिंदू कहते हैं, वे 24 घंटे हिंसा की बात करते हैं। आप (बीजेपी) हिंदू नहीं हैं।” इस बयान पर सत्ता पक्ष ने जमकर हंगामा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस बयान पर आपत्ति जताई और इसे हिंदू समाज का अपमान बताया। बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी की मांग की।
राहुल ने अपने भाषण में नीट परीक्षा के पेपर लीक का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा, “एक प्रोफेशनल स्कीम को आपने कॉमर्शियल स्कीम में तब्दील कर दिया। गरीब मेडिकल कॉलेज नहीं जा सकता, पूरा का पूरा एग्जाम अमीर बच्चों के लिए बनाया है।”
बीजेपी ने राहुल के हिंदू-विरोधी बयान को हवा देते हुए कहा कि यह पूरे हिंदू समाज का अपमान है। कई मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बयान की आलोचना की। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह बयान 2010 में पी चिदंबरम और 2013 में सुशील कुमार शिंदे के हिंदुओं को आतंकवादी कहने के बयान जैसा है।
कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल राहुल गांधी के साथ खड़े नजर आए। प्रियंका गांधी ने कहा, “हिंदुओं का अपमान नहीं किया जा सकता। राहुल ने बीजेपी के नेताओं के बारे में बोला है।” आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी इस बयान को बड़ा मुद्दा बना सकती है, जबकि कांग्रेस को इस बयान से परेशानी उठानी पड़ सकती है।