नई दिल्ली, 4 अक्टूबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश के कुल रक्षा उत्पादन का कम से कम 50 प्रतिशत निजी क्षेत्र की भागीदारी से होना चाहिए। उन्होंने यह बात सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सातवें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कही।सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि इसने यह साबित कर दिया है कि रक्षा औद्योगिक आधार का महत्व अब और अधिक बढ़ गया है।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को तेज करने की जरूरत पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि पहले भारत रक्षा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर था, लेकिन अब वह रक्षा निर्यात के क्षेत्र में कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे निर्यात और आयात के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, लक्ष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपनाएं और आयात-निर्यात अनुपात को संतुलित करने का प्रयास करें।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों का निर्माण, सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची (पीआईएल) जारी करना, आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण और डीआरडीओ द्वारा निजी उद्योगों को सहायता देना शामिल है।उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 2023-24 में देश में रक्षा उत्पादन के मूल्य में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी की संभावनाओं की बात करते हुए कहा कि रक्षा उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान ज्यादा है, लेकिन आने वाले समय में निजी क्षेत्र की भूमिका भी बढ़ेगी।राजनाथ सिंह ने रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए कहा कि रक्षा औद्योगिक आधार का महत्व भविष्य में और बढ़ेगा, इसलिए इसे मजबूत करने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है।
उन्होंने पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों का भी उल्लेख किया, जिनमें 509 उपकरणों की पहचान की गई है, जो अब भारत में ही निर्मित किए जाएंगे।स्रोत: रक्षा मंत्रालय, भारत