विशेष रिपोर्ट: आरबीआई ने जॉइन किया प्रोजेक्ट Nexus3, जानिए इसके लाभ

परिचय

हमारे देश की सेंट्रल बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), ने प्रोजेक्ट Nexus3 पेमेंट्स में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में एक बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है और उम्मीद है कि कई देश इसे अपनाएंगे। यह रिपोर्ट इस प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी और यह समझाएगी कि यह कैसे भारत और भारतीयों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

प्रोजेक्ट Nexus3 क्या है?

प्रोजेक्ट Nexus3 का उद्देश्य है विभिन्न देशों के बीच पेमेंट्स को इंस्टेंट और सहज बनाना, जैसे कि भारत में यूपीआई (UPI) के माध्यम से होता है। वर्तमान में, भारत के अंदर कहीं भी पेमेंट्स कुछ ही सेकंड्स में हो जाते हैं, चाहे आप केरला में हों या जम्मू-कश्मीर में। इसी प्रकार, प्रोजेक्ट Nexus3 के तहत दो देशों के बीच पेमेंट्स भी कुछ सेकंड्स में हो सकेंगे।

आरबीआई का योगदान

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 30 जून को बेसल, स्विट्जरलैंड में एक एग्रीमेंट साइन किया। इस एग्रीमेंट के तहत, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, और भारत जैसे पांच देश इस प्रोजेक्ट के फाउंडिंग मेंबर्स बने हैं।

BIS का रोल

प्रोजेक्ट Nexus3 को बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) लीड कर रहा है, जिसका हेडक्वार्टर स्विट्जरलैंड के बेसल में है। BIS की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के सेंट्रल बैंक्स के बीच कोऑपरेशन बढ़ाना है। BIS के तहत Innovation Hub इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है।

प्रोजेक्ट की जरूरत

अलग-अलग देशों के बीच बायलेटरल एग्रीमेंट्स की बजाय एक इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म बनाने की जरूरत महसूस हुई, ताकि इंटरनेशनल पेमेंट्स को सरल और प्रभावी बनाया जा सके। इससे न केवल समय और लागत की बचत होगी, बल्कि प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।

प्रोजेक्ट Nexus3 के लाभ

  1. स्पीड और एफिशिएंसी: टेक्नोलॉजी के इस युग में स्पीड और एफिशिएंसी का महत्व अधिक हो गया है। प्रोजेक्ट Nexus3 के तहत, इंटरनेशनल पेमेंट्स कुछ ही सेकंड्स में पूरे किए जा सकेंगे।
  2. कम लागत: वर्तमान में इंटरनेशनल पेमेंट्स के लिए कई प्रकार की फीस और चार्जेस लगते हैं। प्रोजेक्ट Nexus3 के तहत, ये लागतें काफी कम हो जाएंगी, जिससे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस अधिक सस्ती और सुगम हो जाएंगी।
  3. पारदर्शिता: इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस में पारदर्शिता बढ़ेगी। सेंडर और रिसीवर दोनों को पहले से ही पता होगा कि कितना कॉस्ट लगेगा और कितना अमाउंट प्राप्त होगा।
  4. रिलायबिलिटी: इस प्लेटफॉर्म के तहत, इंटरनेशनल पेमेंट्स तुरंत और सटीक तरीके से हो सकेंगी। इससे व्यापार और कंज्यूमर दोनों को लाभ होगा।
  5. बिजनेसेस के लिए मददगार: छोटे और मझोले व्यापारों (SMEs) के लिए इंटरनेशनल ट्रांजैक्शंस आसान और सस्ती हो जाएंगी। इससे एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट और अन्य इंटरनेशनल व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी।

प्रोजेक्ट का भविष्य

यह प्रोजेक्ट 2026 तक ऑपरेशनल हो जाएगा। इसके तहत, सभी पांच फाउंडिंग मेंबर्स देश और अन्य शामिल होने वाले देश इंस्टेंट पेमेंट सिस्टम को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर इंटरनेशनल पेमेंट्स को सरल और तेज बनाएंगे।

निष्कर्ष

प्रोजेक्ट Nexus3 एक महत्वपूर्ण कदम है जो इंटरनेशनल पेमेंट्स को सरल, तेज, और सस्ता बनाने में मदद करेगा। आरबीआई का इसमें शामिल होना भारत के लिए गर्व की बात है और इससे भारतीय कंज्यूमर्स और बिजनेसेस को बड़े पैमाने पर लाभ होगा। यह प्रोजेक्ट आने वाले समय में इंटरनेशनल पेमेंट्स के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकता है और अधिक देशों के जुड़ने से यह और भी प्रभावी हो जाएगा।

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