अमृतानंद की हकीकत

पिछले दिनों ‘अमृतानंद’ नामधारी एक व्यक्ति संत श्री आशारामजी बापू को रिहा कराने की बातें बोलता नजर आया । इन निर्दोष संत की रिहाई का भावनात्मक मुद्दा और इस शख्स का साधु-वेश इनका संगम किसी भी श्रद्धालु, धर्मप्रेमी की दृष्टि को स्वाभाविक ही इसकी ओर खींच लेगा । परंतु वर्षों तक इसके करीबी रह चुके सामाजिक कार्यकर्ता श्री मुकेश कुमार शर्मा की आँखों देखी घटनाएँ और अन्य तथ्य कुछ और ही दास्तान बयान करते हैं । मुकेश शर्मा कहते हैं :

‘‘आनंद गोपाल दास उर्फ अमृतानंद को एक साधु समझ के मैं इसके साथ जुड़ा लेकिन समय पाकर जब इसकी करतूतें देखीं तो मैं सावधान हो गया । मेरी तरह दूसरे लोग ठगे न जायें इसलिए जनहितार्थ मैं सच्चाई सबके सामने प्रस्तुत करता आया और आज भी कर रहा हूँ । साधुवेशधारी आनंद गोपाल दास को भूमाफियागिरी और ठगी में महारथ हासिल है । यह बड़े-बड़े उद्योगपतियों से दोस्ती करके धर्म के नाम पर धन ऐंठता है, उनको अँधेरे में रख के जमीनें खरीदता है, पैसों की हेराफेरी करता है और जब इसका भंडा फूटता है तो वहाँ से फरार हो जाता है ।

पते तो बदले, गुरु तक बदल डाले

सन् 2000 के आसपास इसने मान मंदिर, बरसाना (उ.प्र.) के श्री रमेश बाबा की शरण ली । भक्तों के साथ धोखाधड़ी करने के कारण इसे वहाँ से भगा दिया गया । फिर यह मथुरा के कोसी कलाँ क्षेत्र में गया, यहाँ पर भी इसने अपना स्वभाव न छोड़ा । फिर यह भक्ति वेदांत नारायण महाराजजी का चेला बना और भरतपुर में आकर गौशाला के नाम पर एक उद्योगपति के साथ धोखेबाजी की । वहाँ से पलायन कर गोवर्धन (उ.प्र.) गया और अब की बार यह जुगल किशोरजी के पास जा ठहरा । सरकारी कागजों में यह अपना पता गुरु कार्ष्णि आश्रम, गोवर्धन बताता है और कार्ष्णि स्वामी श्री शरणानंद को अपना गुरु बताता है । इस कलाकार को गुरु बदलना एक खेल जैसा कार्य प्रतीत होता है । गुरु की गुरुता और शिष्यत्व की गरिमा चंद रुपयों के लिए नाचनेवाली कोई कठपुतली क्या जाने ?

घोटाला व हेराफेरी

* 2010 के आसपास आनंद गोपाल दास ने आगरा के उद्योगपति पुरुषोत्तम अग्रवाल से गौशाला के निर्माण हेतु मोटी रकम दान में ली । चंदे के धन से इसने अपने व्यक्तिगत नाम पर जमीन खरीद ली ।

उद्योगपति की संस्था में जब इसने धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, धमकाना, भड़काना, गौसेवा में अड़चनें डालना आदि कृत्य किये तो इसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गयी । अब इसने खुद का एक ट्रस्ट बनाया और उक्त जमीन उस ट्रस्ट को (माने स्वयं को ही) लीज डीड (किराये) पर दे दी ।

* इससे भी बड़ी धोखाधड़ी की बात यह थी कि इसने जो गौशाला बनायी वह चंदे से प्राप्त धन से खरीदी उपरोक्त जमीन पर नहीं बल्कि ग्राम सभा की भूमि एवं अवैध रूप से कब्जा की गयी वनभूमि पर बनायी थी । आखिर बहुत बड़ा घोटाला करके यह 1500 से ज्यादा गायों को अनाथ छोड़कर वहाँ से पलायन हो गया ।

न आयें इस ठग के झाँसे में

देश के कई स्थानों में ठगी करके अब इसने निशाना बनाया है संत आशारामजी बापू के भक्तों को । इसकी नीति है फूट डालो और राज करो । इसने साधकों में विघटन फैलाने का प्रयास शुरू किया है । सभा करता है तो न बापूजी को पूछता है न उनकी संस्था के लोगों को पूछता है और धंधा शुरू कर दिया – चंदा माँगना शुरू कर दिया !

जैसे रावण ने हनुमानजी को संजीवनी बूटी लाने से रोकने के लिए कालनेमि राक्षस भेजा था, जो रामभक्त बन के रामजी का गुणगान कर रहा था ऐसे ही मैं तो मानता हूँ कि यह षड्यंत्रकारियों द्वारा भेजा गया ‘कलियुग का कालनेमि’ है जो खुद को आशारामजी बापू का हितैषी दिखा के उनके शिष्यों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है । मैं बापूजी के भक्तों से यही कहूँगा कि आप सावधान रहें, इसके झाँसे में न आयें ।

जैसे महाभारत का शकुनि कौरवों का शुभचिंतक बनकर उन्हें गुमराह करता रहा और कुरु वंश के विनाश का कारण बना ऐसे ही यह ढोंगी खुद को बापूजी और साधकों का शुभचिंतक बताते हुए भोले-भाले साधकों की श्रद्धा का दुरुपयोग कर उन्हें सत्संग, सेवा व सद्गुरु से दूर करके पतन की ओर ले जाने की कोशिश कर रहा है । इसलिए लोगों को सावधान करने के लिए मुझे यह जानकारी देनी पड़ रही है ।’’

(अमृतानंद की हकीकत उजागर करनेवाले कागजात आदि देखें इस लिंक पर )

https://drive.google.com/drive/folders/1c_JLAJK1TaolDdi6c6yCilHhSge3fPub

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