हिन्दू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का अपना विशेष आध्यात्मिक महत्व है। यह वह पवित्र अवधि है जब हम श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के माध्यम से अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस समय माना जाता है कि स्वर्गलोक से पूर्वज हमारे घरों में आते हैं। इसलिए इस दो-सप्ताहीन काल में घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखना बेहद आवश्यक होता है
पितृपक्ष की शुरुआत: 7 सितंबर 2025 से 21 सितंबर 2025 तक
इस वर्ष पितृपक्ष 7 सितंबर (पूर्णिमा तिथि) से प्रारम्भ होकर 21 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या) तक चलेगा। इस अवधि में श्राद्ध कर्मों का पूर्णत: पालन शुभ एवं लाभदायक माना जाता है
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घर से निकालने योग्य 5 अशुभ वस्तुएँ:
बंद या खराब घड़ी
वास्तु अनुसार यह दुर्भाग्य का प्रतीक होती है। पवित्र समय में इसकी उपस्थिति अशांति का संदेश देती है
टूटे-फूटे बर्तन
ये दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। साफ-सुथरे समग्र बर्तनों का प्रयोग ही श्राद्ध के दौरान शुभ माना जाता है
मुरझाए या सूखे पौधे
सजावट दोषरहित होनी चाहिए। मृत या सूखे पौधे न सिर्फ दृश्य अपवाद हैं बल्कि वातावरण को अशुद्ध करते हैं
टूटी या खंडित मूर्तियाँ
पूजा के समय यह अशुद्धता का प्रतीक मानी जाती हैं। विशेष सावधानी की आवश्यकता है कि ऐसे किसी आइटम का प्रयोग न हो
जंग लगे धातु या लोहे के सामान
वास्तु में इसे बीमारियों और बाधाओं का संकेत माना गया है। इन वस्तुओं को या तो साफ़ कर दें या पवित्रता बनाए रखने के लिए बाहर निकाल दें