“अक्षय ऊर्जा दिवस: पर्यावरण बचाने का संकल्प”

आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे समय में अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) ही मानवता के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत और बायोमास जैसी अक्षय ऊर्जा के स्रोत न केवल असीमित हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए भी अनिवार्य हैं।

अक्षय ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरत

तेजी से घटते जीवाश्म ईंधन भंडार और बढ़ते प्रदूषण ने साबित कर दिया है कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता अब सुरक्षित विकल्प नहीं रह गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऊर्जा के उपयोग में बदलाव नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में ऊर्जा संकट और प्रदूषण की समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

भारत की पहल

भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। देश आज सौर ऊर्जा उत्पादन में विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में गिना जाता है। प्रधानमंत्री ने भी 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। यह न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने का संदेश भी देगा।

समाज और नागरिकों की भूमिका

सरकार और उद्योगों के प्रयासों के साथ-साथ आम नागरिकों की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। घरों में सौर पैनल लगाना, ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग करना, पवन और जल ऊर्जा परियोजनाओं को समर्थन देना—ये सब छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव का कारण बन सकते हैं।

संकल्प का अवसर

अक्षय ऊर्जा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि धरती को बचाना और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ भविष्य देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
आज के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि जीवन के हर क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा के अधिक से अधिक उपयोग को प्राथमिकता देंगे।