शांति विधेयक से परमाणु क्षेत्र में 60 साल की रुकावट खत्म

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शांति विधेयक मोदी सरकार के सबसे बड़े वैज्ञानिक सुधारों में से एक है और इसने परमाणु क्षेत्र में पिछले करीब 60 साल से चली आ रही रुकावट को तोड़ दिया है।

उन्होंने बताया कि सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी शांति विधेयक भारत के परमाणु क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव है और इससे शांतिपूर्ण, स्वच्छ व टिकाऊ ऊर्जा के लिए परमाणु शक्ति का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक के तहत सुरक्षा, देश की संप्रभुता और जनहित से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और सभी प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होंगे।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े सुधार के बारे में बीते छह दशकों तक सोचना भी मुश्किल था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुराने डर और बाधाओं को दूर कर नीतियों को वैश्विक सर्वोत्तम उदाहरणों के अनुरूप बदला गया।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहचान विज्ञान, नवाचार और उद्यमिता से जुड़े बड़े और मजबूत सुधार हैं, जो भारत के तकनीकी और आर्थिक भविष्य को दिशा देंगे।

भारत की परमाणु नीति पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि डॉ. होमी जहांगीर भाभा के समय से ही परमाणु कार्यक्रम का उद्देश्य विकास, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा रहा है और शांति विधेयक उसी दृष्टि को आगे बढ़ाता है।

उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम तकनीक और डेटा आधारित अर्थव्यवस्था के दौर में लगातार और भरोसेमंद बिजली जरूरी है, ऐसे में परमाणु ऊर्जा दिन-रात स्थिर आपूर्ति देने में अहम भूमिका निभाती है।

मंत्री ने जानकारी दी कि 2014 में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता लगभग 4.4 गीगावॉट थी, जो अब बढ़कर करीब 8.7 गीगावॉट हो गई है और सरकार का लक्ष्य 2047 तक इसे लगभग 100 गीगावॉट तक पहुंचाना है।

उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के पूरा होने से देश की करीब 10 प्रतिशत बिजली परमाणु ऊर्जा से आएगी और नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

स्वास्थ्य क्षेत्र पर जोर देते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि कैंसर की जांच और इलाज में न्यूक्लियर मेडिसिन और आइसोटोप का बढ़ता इस्तेमाल कई जिंदगियां बचा रहा है और परमाणु विज्ञान मानव कल्याण की अहम शक्ति बन रहा है।

भविष्य की योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, जो शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होंगे।

उन्होंने बताया कि शांति विधेयक को वैज्ञानिकों, उद्योग जगत और नवाचार से जुड़े लोगों का व्यापक समर्थन मिला है, जो भारत के परमाणु क्षेत्र को आधुनिक बनाने की साझा सोच को दर्शाता है।