नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर गंभीर टिप्पणी की है। उनका कहना है कि बंगाल का विभाजन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था। लेकिन इस फिल्म पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ इतिहास दिखाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में वैमनस्य और साम्प्रदायिक विभाजन फैलाने के लिए बनाई गई प्रतीत होती है।
बोस ने साफ कहा, “फिल्म बनाना गलत नहीं है, लेकिन जब सिनेमा को वोट बैंक की राजनीति का हथियार बना दिया जाए तो यह चिंताजनक है। राजनीति को फिल्मों में नहीं घुसना चाहिए।”
उनका मानना है कि कला और सिनेमा समाज को जोड़ने का माध्यम होना चाहिए, न कि मतभेदों को गहरा करने का। बंगाल के विभाजन की पीड़ा और उस दौर की त्रासदी पर फिल्म बनाना स्वाभाविक है, लेकिन बोस के मुताबिक इसे किसी भी तरह की नफरत फैलाने का जरिया बनाना अनुचित होगा।
यह बयान उस समय आया है जब फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया में खूब चर्चा चल रही है। बोस के शब्द एक तरह से चेतावनी हैं कि इतिहास को पेश करने का मकसद समाज को सीख देना होना चाहिए, न कि उसे और बाँटना।