नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवेदनशील और गंभीर मामलों में दिन-प्रतिदिन सुनवाई (डे-टू-डे ट्रायल) की पुरानी परंपरा को फिर से शुरू करना जरूरी है। अदालत ने माना कि लंबे समय तक फैसले टलने से न्याय में देरी होती है और पीड़ितों को समय पर राहत नहीं मिलती।
कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा है कि वे अपने-अपने इलाकों में इस प्रथा को लागू करने की रूपरेखा तैयार करें। इसके लिए समितियां बनाने और ज़िला अदालतों को निर्देश देने की बात कही गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कुछ खास नियम भी तय किए हैं। गवाह अगर कोर्ट में मौजूद हों तो उनकी गवाही तुरंत ली जाए और स्थगन सिर्फ लिखित विशेष कारण पर ही मिले। वकीलों की व्यक्तिगत सुविधा या सामान्य बहाना स्थगन का आधार नहीं माना जाएगा। अगर पक्षकार या उनके वकील जानबूझकर देरी करें तो अदालत उनकी जमानत तक रद्द करने पर विचार कर सकती है।
अदालत ने कहा कि सुनवाई के लिए एक तय कार्यक्रम बनाना चाहिए ताकि पक्षकारों और वकीलों को पहले से तारीखों की जानकारी हो। न्यायालयों को यह भी ध्यान रखना होगा कि आदेश केवल कागज़ पर न रह जाए बल्कि वास्तविक सुनवाई तेज़ी से आगे बढ़े।
यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि देश की निचली अदालतों में लाखों मामले सालों से लंबित हैं। रोजाना सुनवाई से न केवल फैसले जल्दी हो सकेंगे बल्कि गवाहों के बयान ताज़ा रहते हुए दर्ज होंगे और न्याय प्रक्रिया पर जनता का भरोसा बढ़ेगा।