बरेली में शुक्रवार की नमाज़ के बाद तनाव

उत्तर प्रदेश के बरेली में शुक्रवार की नमाज़ के बाद शहर के कई इलाकों में माहौल अचानक गरम हो गया। नमाज़ खत्म होते ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस की शक्ल में जमा हुए। उनका मकसद I Love Muhammad अभियान से जुड़े पोस्टरों पर दर्ज एफआईआर को वापस लेने के लिए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपना था। शुरुआत में भीड़ शांतिपूर्वक आगे बढ़ रही थी, लेकिन जैसे ही जुलूस कचहरी रोड और पुलिस बैरिकेडिंग के पास पहुंचा, हालात बिगड़ने लगे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ज्ञापन देने आए कुछ युवाओं ने अचानक नारेबाजी तेज कर दी और पुलिस से उलझने लगे। इसी दौरान कुछ उपद्रवी तत्वों ने बैरिकेडिंग पर पथराव शुरू कर दिया। पथराव बढ़ते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इस झड़प में कई प्रदर्शनकारी और कुछ पुलिसकर्मी हल्के घायल हुए। मौके पर अफरा-तफरी मच गई और लोगों को आसपास की गलियों में भागते देखा गया।

स्थिति को काबू में लाने के लिए प्रशासन ने पहले से तैनात फोर्स को और मजबूत किया। कुल मिलाकर चार हजार से अधिक पुलिसकर्मी और पीएसी जवान शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगा दिए गए। देर शाम तक पुलिस ने करीब 50 लोगों के खिलाफ दंगा, पथराव और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की। कई संदिग्धों को मौके से हिरासत में लिया गया और सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।

यह विवाद असल में कानपुर में लगे I Love Muhammad पोस्टरों को हटाने और उस पर दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। वहां हुई पुलिस कार्रवाई के बाद से सोशल मीडिया पर विरोध बढ़ रहा था। समुदाय के लोगों का कहना है कि पोस्टर धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं और उन पर कार्रवाई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। प्रशासन का तर्क है कि बिना अनुमति पोस्टर लगाने और माहौल बिगाड़ने पर कानून के तहत कार्रवाई की गई।

फिलहाल बरेली के संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है और अधिकारियों ने अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। जिला प्रशासन ने साफ किया है कि कानून व्यवस्था भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी, जबकि समुदाय के प्रतिनिधि शांतिपूर्ण संवाद की मांग कर रहे हैं। यह घटना उत्तर प्रदेश में धार्मिक अभिव्यक्ति और कड़ी कानून व्यवस्था के बीच चल रहे टकराव को फिर से उजागर करती है।