न्यायालय ने पेड़ों की कटाई के बारे में जानकारी मिलने की तारीखों में विसंगतियों का उल्लेख किया

नयी दिल्ली, 24 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई के बारे में उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को जानकारी मिलने की तारीखों में विसंगतियों का बृहस्पतिवार को उल्लेख किया और घटनाओं के सटीक क्रम पर स्पष्टीकरण मांगा।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उपराज्यपाल (एलजी) सक्सेना और डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा से पूछा कि उन्हें रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के बारे में कब पता चला।

पीठ ने अगले सप्ताह तक पेड़ों की कटाई की अनुमति से संबंधित मूल रिकॉर्ड भी मांगे हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें 10 जून को पेड़ों की कटाई के बारे में पता चला लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार, उन्हें अप्रैल में रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के बारे में अवगत कराया गया था।

उपराज्यपाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने हालांकि याचिकाकर्ताओं पर घटना को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें पेड़ों की कटाई के बारे में कब पता चला, इसकी कोई सटीक तारीख नहीं है और उन्होंने बेहतर हलफनामा दायर करने की अनुमति मांगी।

दिल्ली के उपराज्यपाल ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता के बारे में अवगत नहीं कराया गया था और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के दोषी अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई शुरू की गई थी।

उन्होंने कहा कि छह फरवरी से 26 फरवरी के बीच पेड़ों की कटाई के बाद ही उन्हें इस बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि यह सूचना 10 जून को डीडीए उपाध्यक्ष के एक पत्र के माध्यम से दी गई।

हलफनामे में कहा गया है, ‘‘यह एक चूक थी, लेकिन उनके (डीडीए अधिकारियों) द्वारा किया गया काम जनहित में था। हालांकि, डीडीए द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की गई है।’’

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