“काजीरंगा में कानून की खुदाई जारी है — खनन के बुलडोजर के साथ!”

“कोर्ट बंद, खनन चालू: काजीरंगा के पास कानून की खुदाई जारी

यूनेस्को की विश्व धरोहर काजीरंगा के पास, जहाँ एक सींग वाले गैंडे बचे हैं, वहाँ अब केवल पत्थर खोदे जा रहे हैं। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने खनन पर “सख्त” रोक लगाई थी, जिसे खनन माफिया और कुछ स्थानीय प्रशासन ने “हल्का सुझाव” मान लिया।

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) ने अब कोर्ट को बताया है कि असम के पार्कुप पहाड़ क्षेत्र में न सिर्फ अवैध खनन जारी है, बल्कि और तेज हो गया है — जैसे आदेश का विरोध करने की कोई दौड़ चल रही हो।

डिजिटल सबूत, गूगल इमेज और सरकारी रिपोर्टें कहती हैं कि खुदाई 2021 से फिर ज़ोर पकड़ चुकी है। मज़े की बात: कुछ स्थानीय निकाय बिना किसी अधिकार या अनुमति के खदानों के लाइसेंस भी बांट रहे हैं — शायद ‘खनन उत्सव’ के नाम पर!

CEC ने चेतावनी दी है कि ये सब सुप्रीम कोर्ट के आदेश और वन कानून का खुला उल्लंघन है। लेकिन जब कानून खुद धूल खा रहा हो, तो पत्थर को क्या डर?