“विमान गिरा, सरकार बच निकली — जवाब की जगह जुमलों की उड़ान भरते दिखे गृह मंत्री!”

जहाज़ जला, जवाबदारी टली — मंत्री बोले, “नसीब ही खराब था!”

अहमदाबाद विमान हादसे में 200 से ज़्यादा मौतें, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह का बयान: “ऐसे हादसे रोके नहीं जा सकते।”

कांग्रेस का तंज — “जब कुछ रोका नहीं जा सकता, तो मंत्री क्यों बैठे हैं? भाग्य भरोसे देश चलाइए क्या?”

पवन खेड़ा ने पूछा: “हादसा ऊपर वाला करे, मंत्री नीचे से माफ़ी भी न मांगें?”

जयराम रमेश ने जोड़ा: “ये बयान नहीं, संवेदनहीनता का सीधा नमूना है।”

सरकार चुप है — शायद उन्हें भी यकीन है कि जवाबदेही भी एक दुर्घटना है, जो अपने-आप होनी चाहिए।