सिडनी आतंकी हमले पर ट्रंप की कड़ी निंदा, वैश्विक एकजुटता की अपील

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में यहूदियों पर रविवार 14 दिसंबर को हुए आतंकी हमले की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कड़ी निंदा की, उन्होंने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया और सभी देशों से आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होने की अपील की।

सिडनी के बोंडी बीच पर हनुक्का इवेंट के दौरान हुई मास शूटिंग में 15 लोगों की मौत हो गई, इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया सहित पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए।

व्हाइट हाउस में आयोजित हनुक्का रिसेप्शन के दौरान ट्रंप ने कहा कि कट्टर इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के सभी देशों को एक साथ खड़ा होना चाहिए, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका इस लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

जांच में सामने आया कि बोंडी बीच हमले के आतंकी को पहले पाकिस्तानी बताया जा रहा था, बाद में खुलासा हुआ कि हमले से पहले दोनों आतंकी पिछले महीने फिलीपींस गए थे, हालांकि इस यात्रा का उद्देश्य अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।

फिलीपींस के अधिकारियों ने दावा किया कि दोनों आतंकी भारतीय पासपोर्ट पर फिलीपींस पहुंचे थे, वहीं ऑस्ट्रेलियाई जांच एजेंसियां इस बात की गहन जांच कर रही हैं कि वे वहां किस मकसद से गए थे।

इसी बीच तेलंगाना पुलिस ने पुष्टि की कि साजिद अकरम नाम का आतंकी हैदराबाद का रहने वाला था, उसके पास भारतीय पासपोर्ट था और वह लंबे समय से भारत में अपने परिवार के संपर्क में नहीं था।

पुलिस के अनुसार साजिद अकरम ने यूरोपियन मूल की महिला से शादी की थी, वह 1998 में नौकरी की तलाश में ऑस्ट्रेलिया चला गया था और धीरे-धीरे भारत से उसका पारिवारिक जुड़ाव लगभग खत्म हो गया था।

तेलंगाना स्टेट पुलिस चीफ बी. शिवधर रेड्डी ने कहा कि परिवार को उसकी कट्टर सोच या गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी, उन्हें यह भी नहीं पता था कि किन परिस्थितियों में वह कट्टरपंथ की ओर बढ़ा।

ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने मुठभेड़ में साजिद अकरम को मार गिराया, जबकि उसका 24 वर्षीय बेटा नवीद अकरम घायल हो गया और फिलहाल अस्पताल में भर्ती है।

इंटेलिजेंस एजेंसियों ने साजिद अकरम के सभी संपर्कों की जांच की, जिसमें पता चला कि वह हैदराबाद के टोली चौक स्थित अल हसनाथ कॉलोनी का निवासी था और उसके पुराने नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि साजिद भारत में रहते हुए कट्टरपंथी बना था, यह हमला पूरी तरह से विचारधारा से प्रेरित प्रतीत होता है।

जांच में विसम हद्दाद नाम के एक कुख्यात मौलवी का भी नाम सामने आया है, जो इस्लामिक स्टेट से जुड़ा बताया जा रहा है और कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार करता रहा है।

हालांकि कई चेतावनियों के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई एजेंसियां हद्दाद के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं कर सकीं, विशेषज्ञों का मानना है कि यही चूक इस घातक हमले की एक बड़ी वजह बनी।