समिति गठन और उद्देश्यों की रूपरेखा
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मसौदे को तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। इस समिति ने चार खंडों में विस्तृत रिपोर्ट तैयार की, जिसे शुक्रवार को सार्वजनिक कर दिया गया है। रिपोर्ट को ‘डब्लूडब्लूडब्लू डॉट यूसीसी डॉट यूके डॉट जीओवी डॉट इन’ पर अपलोड किया गया ताकि लोग इसे देख सकें।
रिपोर्ट की सार्वजनिकता और विचार-विमर्श
यूसीसी समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि समिति ने 43 संवाद कार्यक्रमों के जरिए 2.33 लाख लोगों के सुझाव प्राप्त किए। फरवरी 2024 में राज्य सरकार को यह रिपोर्ट सौंप दी गई थी, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण इसे पहले सार्वजनिक नहीं किया जा सका।
महत्वपूर्ण प्रावधान और बदलाव
यूसीसी अधिनियम में विवाह और लिव-इन संबंधों के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। समिति ने यह सुनिश्चित किया है कि 18-21 साल के सहजीवन युगलों की जानकारी उनके माता-पिता को दी जानी चाहिए, जबकि 21 साल से अधिक उम्र के युगलों की जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।
विवाह और संपत्ति के अधिकार
इस अधिनियम में विवाह, संपत्ति, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक समान कानून का प्रावधान है। महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को संरक्षित करते हुए बाल विवाह, बहु विवाह, हलाला, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाई गई है। विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है और ऐसा न करने पर सरकारी सुविधाओं से वंचित करने का प्रावधान है।
धार्मिक और सामाजिक प्रभाव
समिति ने यह भी जांच की कि क्या यूसीसी राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है और पाया कि इसमें कोई संवैधानिक अड़चन नहीं है। यह किसी वर्ग की धार्मिक आजादी पर हमला नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान कानून लागू करेगा।
जनसंख्या नियंत्रण और अन्य विषय
यूसीसी के मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को शामिल नहीं किया गया, हालांकि इस विषय पर सुझाव दिए गए थे। समिति ने कहा कि यह उसके दायरे में नहीं आता।
आगे की प्रक्रिया
यूसीसी के क्रियान्वयन के लिए नियमों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है और उम्मीद है कि इसे अक्टूबर से लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में हाल में बयान दिया था और समिति इस समयसीमा को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यूसीसी को लागू करने की दिशा में पहल की है। यह अधिनियम सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून प्रदान करेगा और सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करेगा।