विकास यादव पर अमेरिकी कार्रवाई: भारत-यूएस संबंधों में नया तनाव

हाल ही में, अमेरिका ने भारतीय मूल के पूर्व रॉ एजेंट विकास यादव को ‘मोस्ट वांटेड’ घोषित कर दिया है। इस खबर ने भारतीय नागरिकों में हलचल मचा दी है, और सोशल मीडिया पर कई लोग खुलकर कह रहे हैं, “विकास यादव, वी आर प्राउड ऑफ यू।” यह मामला तब और चर्चा में आया जब एफबीआई ने विकास यादव की तस्वीर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी, और कई अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसियों ने इस खबर को फैलाया।

अमेरिकी आरोप: हत्या की साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग

एफबीआई का आरोप है कि विकास यादव ने हत्या के लिए साजिश रची और मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल रहे। खासकर, उन्हें आरोपित किया गया है कि उन्होंने खालिस्तान समर्थक और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए पैसे दिए थे। यह मामला भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा संबंधों में एक नया मोड़ ला रहा है, क्योंकि भारत ने पन्नू को लंबे समय से मोस्ट वांटेड लिस्ट में रखा है, और यूएस के इस कदम से दोनों देशों के संबंधों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

खालिस्तान समर्थक पन्नू और अमेरिकी रुख

पन्नू, जो खुले तौर पर भारत के खिलाफ बयानबाजी करता है और भारतीय संसद पर हमले की धमकियां दे चुका है, कनाडा और अमेरिका से संचालित हो रहा है। भारतीय पक्ष का मानना है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश खालिस्तान समर्थकों को शरण देकर इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहते हैं। इससे यह आशंका भी बढ़ गई है कि भविष्य में ये देश भारत के खिलाफ इन तत्वों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले बढ़ा दबाव

इस मुद्दे का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के कुछ ही दिनों पहले यह घटनाक्रम सामने आया है। भारत, चीन, रूस और अन्य ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर एक नया वैश्विक आर्थिक ढांचा तैयार कर रहा है, जिसमें नई मुद्रा और अन्य प्रमुख घोषणाएं शामिल हो सकती हैं। ऐसे समय में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों द्वारा भारत पर दबाव बनाना एक जिओपॉलिटिकल रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

भारतीय प्रतिक्रिया और आगे की रणनीति

भारत में यह मामला इसलिए भी बड़ा हो गया है क्योंकि विकास यादव के खिलाफ यह कार्रवाई उस समय हुई है जब भारत और यूएस के बीच मित्रता को और मजबूत करने की बातें हो रही थीं। अमेरिकी मीडिया भी इस बात को उजागर कर रहा है कि भारत, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों पर अब भरोसा कर सकता है या नहीं, खासकर तब जब ये देश भारत के खिलाफ खालिस्तान समर्थकों को समर्थन देते नजर आ रहे हैं।

भविष्य में क्या?

इस पूरी घटना ने भारत और अमेरिका के बीच विश्वास की कमी को उजागर किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार वापस आती है, तो क्या इस मामले में कोई बदलाव देखने को मिलेगा। वहीं, भारतीय नागरिक भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और इस पूरे घटनाक्रम को भारत की विदेश नीति और सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देख रहे हैं।

अंत में, यह स्पष्ट है कि विकास यादव का मामला सिर्फ एक व्यक्ति का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती खींचतान का प्रतीक है, जो आने वाले समय में और गहरा सकता है।

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