वास्तु शास्त्र में भोजन करने की दिशा और स्थान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि गलत दिशा में भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि भोजन के दौरान वास्तु नियमों की अनदेखी करने से अशुभ परिणाम मिल सकते हैं। इसलिए खाने से जुड़ी कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
वास्तु शास्त्र में घर की चौखट पर बैठकर भोजन करने की मनाही है। मान्यता है कि चौखट पर देवी–देवताओं का वास होता है, इसलिए यहां भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
धार्मिक विश्वासों के अनुसार टूटे हुए बर्तन में भोजन करना भी अशुभ माना गया है। भोजन को भगवान का प्रसाद समझा जाता है, ऐसे में टूटे हुए बर्तन का उपयोग भोजन का अनादर माना जाता है।
वास्तु के अनुसार टूटे बर्तन में भोजन करने से दुर्भाग्य, मानसिक तनाव और नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं। इसलिए हमेशा साफ–सुथरे और सही अवस्था वाले बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए।
भोजन करते समय दिशा का ध्यान रखना भी बहुत आवश्यक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार खाना खाते समय व्यक्ति का मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
मान्यता है कि उत्तर और पूर्व दिशा में भोजन करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और मन शांत रहता है। ये दिशाएं सौभाग्य और स्वास्थ्य को भी मजबूती प्रदान करती हैं।
वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन केवल शरीर को ऊर्जा देने का माध्यम नहीं है, बल्कि मानसिक संतुलन और सकारात्मकता बढ़ाने का भी माध्यम है। इसलिए सही दिशा और स्थान का चयन सुख और शांति में वृद्धि करता है।
