मोबाइल पर एक घंटे रील्स देखने से आंखें हो सकती हैं कमजोर, मायने रखता है कंटेंट: रिसर्च

मोबाइल स्क्रीन और आंखों पर असर

आजकल ज्यादातर लोग अपना काफी समय स्मार्टफोन पर बिताते हैं, खासकर सोशल मीडिया रील्स, वीडियो और ई-बुक पढ़ने में।

हाल ही में जर्नल ऑफ आई मूवमेंट रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि सिर्फ मोबाइल पर बिताया गया समय ही नहीं, बल्कि आप किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं, यह भी आंखों की सेहत पर असर डालता है।


📌 रिसर्च की मुख्य बातें

  • एक घंटे तक लगातार मोबाइल देखने से आंखों में थकान और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • रील्स देखने पर पुतलियों में ज्यादा बदलाव होते हैं, किताब पढ़ने या वीडियो देखने की तुलना में।
  • लगातार 20 मिनट से ज्यादा स्क्रीन टाइम शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों को प्रभावित करता है।

📌 ब्लू लाइट का प्रभाव

मोबाइल और डिजिटल डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण:

  • आंखों में थकान
  • नींद में परेशानी
  • मानसिक तनाव
  • देखने से जुड़ी अन्य समस्याएं

📌 वैज्ञानिकों का प्रयोग

शोधकर्ताओं ने एक सस्ता और पोर्टेबल सिस्टम बनाया, जो आंखों की गतिविधियों को मापता है। इसमें रिकॉर्ड किया गया:

  • एक मिनट में कितनी बार पलकें झपकती हैं
  • दो पलक झपकने के बीच का समय
  • पुतली का आकार कितना बदलता है

यह प्रयोग लोगों पर तब किया गया जब वे:

  1. मोबाइल पर किताब पढ़ रहे थे
  2. वीडियो देख रहे थे
  3. सोशल मीडिया रील्स देख रहे थे

परिणाम: रील्स में स्क्रीन की रोशनी और चमक तेजी से बदलती है, जिससे पुतली लगातार सिकुड़ती-फैलती रहती है और पलकें कम झपकती हैं। यही आंखों की थकान का बड़ा कारण है।


📌 शोध के नतीजे

  • 60% लोगों को आंखों की थकान, गर्दन और हाथों में दर्द महसूस हुआ।
  • 83% लोगों ने चिंता, मानसिक थकावट और नींद में दिक्कत जैसी समस्याएं बताईं।
  • 40% लोगों ने ब्लू लाइट फिल्टर या डार्क मोड जैसे उपाय अपनाए।

👉 निष्कर्ष: लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल आंखों और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक है। इसलिए स्क्रीन टाइम को सीमित करना और 20-20-20 रूल (हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें) अपनाना आंखों की सेहत के लिए जरूरी है।