⚔️ 19 साल के उस वीर की कथा, जिसे हम जानते हैं छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से
कहते हैं, एक दिन एक 19 वर्षीय बालक ने देखा कि एक निर्दयी कसाई, उसकी आँखों के सामने, हमारी गौ माता का वध कर रहा था।
उसके भीतर का धर्म, साहस और स्वाभिमान आग की तरह भड़क उठा।
⚡ अगले ही पल, उस वीर ने अपनी तलवार म्यान से निकाली और धर्म की रक्षा में, उस कसाई के दोनों हाथ उसी क्षण काट डाले।
यह घटना किसी व्यक्तिगत द्वेष के कारण नहीं थी—यह थी गौ माता और धर्म की रक्षा के लिए उठी तलवार।
📜 इसके बाद, इस वीर को शिक्षा के तौर पर एक बड़े दरबार में पेश किया गया, जहाँ अपेक्षा थी कि वह झुककर क्षमा माँगेगा।
लेकिन, वहाँ खड़े होकर इस युवक ने अपनी गर्दन तक नहीं झुकाई।
उसके चेहरे पर न भय था, न शर्म—सिर्फ़ धर्म के लिए किया गया कर्तव्य।
यही 19 वर्षीय बालक आगे चलकर छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से इतिहास में अमर हुआ।
हम हिंदू उन्हें नेताजी पालकर के दीक्षित वीर के रूप में भी याद करते हैं—जिन्होंने अपने जीवन की शुरुआत से ही धर्म, गौ माता और स्वाभिमान की रक्षा का प्रण लिया था।
🚩 जय भवानी, जय शिवाजी! 🚩