“जहाँ शांति है, वहाँ रेड क्यों है?”

ध्यानलिंग पर छापा, तमिलनाडु का नया ‘ध्यान’

कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में पुलिस ऐसे घुसी जैसे कोई आतंकवादी ठिकाना हो।

ASP साहब के नेतृत्व में पूरी बटालियन — और वजह?एक व्यक्ति को शक था कि उसकी बेटियाँ ‘बंधक’ हैं।

बेटियाँ खुद कोर्ट पहुंचीं और बोलीं –

हमने अपनी इच्छा से सन्यास लिया है।”

पर जज साहब बोले –

सदगुरु की बेटी की शादी हुई, तो दूसरों को सन्यास क्यों?”

अब ये सवाल है या निजी जीवन पर सरकारी सेंसर?

ध्यान, योग और सनातन पर शक –

मगर लव-जिहाद में उलझी लड़कियों पर अदालत कहती है

बालिग है, उसकी मर्ज़ी।”

तो क्या अब सन्यास लेना गुनाह और जिहाद में जाना अधिकार है?

शंकराचार्य की दिवाली में गिरफ्तारी,

सदगुरु के आश्रम में नवरात्रि पर छापा —

सत्ता को लगता है कि साधु-संत अब चुप नहीं बैठेंगे,और यही डर असली है।

रिपोर्ट: ‘भक्त’ जो अब सरकार को समझाने में लगा है कि ध्यान अपराध नहीं होता।