अमेरिका का राष्ट्रपति कोई भी बने, भारत के साथ साझेदारी और प्रगाढ़ ही होगी: मुकेश अघी

वाशिंगटन, छह सितंबर अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश अघी ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में चाहे कोई भी जीते, भारत के साथ देश के संबंध मजबूत होते रहेंगे।

अघी ने इस बात को रेखांकित किया कि अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला ‘‘बहुत करीबी’’ है।

अघी ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई’ से साक्षात्कार में कहा कि दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक जुड़ाव बहुत मजबूत है।

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे कोई भी आए, मुझे लगता है कि अमेरिका की भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए भारत महत्वपूर्ण बना हुआ है। वह आक्रामक चीन के उदय को रोकने की कोशिश कर रहा है। यह संबंध भारत के भी हित में है। उसे एक ऐसे पड़ोसी से निपटने के लिए सहयोगी मिल गया है जो भारत को कभी बराबर का भागीदार नहीं मानेगा।’’

अघी ने कहा, ‘‘भू-राजनीतिक रूप से दोनों देशों के बीच तालमेल बहुत मजबूत है। इसलिए, चाहे कोई भी आए, चाहे ट्रंप हो या कमला हैरिस, साझेदारी इसी दिशा में आगे बढ़ती रहेगी।’’

अघी ने कहा कि भले ही माहौल हैरिस के ‘‘पक्ष में बदल गया है लेकिन मुकाबला बहुत करीबी है।’’

उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन में तनाव के बीच अमेरिकी कॉर्पोरेट क्षेत्र आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम मुक्त करना चाहता है।

अघी ने कहा, ‘‘हां, वियतनाम, कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश आपूर्ति कर रहे हैं, लेकिन कोई भी देश भारत जैसे पैमाने पर आपूर्ति नहीं कर सकता, इसलिए आपूर्ति श्रृंखला के जोखिम को कम करने में भारत महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत इनमें से कई कंपनियों के लिए एक बाजार भी बन जाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा भारतीय-अमेरिकी प्रवासी आबादी का लगभग एक प्रतिशत हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में लगभग छह प्रतिशत योगदान देते हैं। वे दोनों देशों के बीच बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसलिए चाहे कोई भी आए, संबंध और भी गहरे, व्यापक और बहुत अधिक मजबूत होते रहेंगे।’’

उन्होंने कहा कि विदेश नीति और भारत-अमेरिका संबंध ट्रंप और हैरिस के नेतृत्व पर निश्चित रूप से प्रभाव डालेंगे।

यूएसआईएसपीएफ प्रमुख ने भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका की भी सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘आपके पास एक ऐसा प्रधानमंत्री है जिसे अमेरिका का वीजा देने से मना कर दिया गया था लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत अपमान को एक तरफ रखकर भारत के व्यापक हितों को ध्यान में रखा।’’

अघी ने कहा, ‘‘उन्होंने (मोदी ने) महसूस किया कि आर्थिक विकास के लिए अमेरिका महत्वपूर्ण है। निवेश के लिए अमेरिका महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए अमेरिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने इन संबंधों को बनाने पर ध्यान केंद्रित किया, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के साथ बहुत मेहनत की, फिर ट्रंप और फिर बाइडन के साथ मिलकर काम किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि जब वह इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के लिए न्यूयॉर्क आएंगे तब भी यह प्रक्रिया जारी रहेगी।’’

इसबीच एक शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक विशेषज्ञ ने कहा है कि पिछले तीन दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत और सुदृढ़ हुए हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले प्रशासन में भी द्विपक्षीय संबंध यथावत रहेंगे।

ये टिप्पणियां ‘हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक’ की शोधार्थी अपर्णा पांडे ने कीं।

पांडे ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘ पिछले तीन दशक में भारत-अमेरिका संबंध मजबूत और सुदृढ़ हुए हैं। डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन, संबंध उतने ही मजबूत रहेंगे।’’

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