क्या फिर से बाबरी जैसी त्रासदी दोहराई जाएगी?

फतेहपुर के मंगी मकबरे पर दावा, भगवा झंडा और नया विवाद

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले के अबूनगर गाँव में एक 200 साल पुराने मकबरे को लेकर विवाद गरमा गया है। दावा किया जा रहा है कि यह मकबरा असल में एक प्राचीन मंदिर था।

11 अगस्त 2025 – मुख्य घटना:

  • लगभग 150-160 लोगों का एक समूह पुलिस बैरिकेड तोड़कर मकबरे परिसर में घुसा।
  • वहां भगवा झंडा फहराया, धार्मिक नारे लगाए, और आंशिक तोड़फोड़ की गई।
  • वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए – जिससे मामला तेजी से फैल गया।
  • पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज की और अतिरिक्त बल तैनात किए।

एफआईआर और पुलिस ऐक्शन

  • 10 नामजद और 150+ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज।
  • धारा: Unlawful Assembly, Rioting, Trespass, Damage to burial site आदि।
  • जांच जारी है, पहचान और गिरफ्तारी की प्रक्रिया चालू।

विवादित स्थल का कानूनी दर्जा

  • सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में यह स्थल दर्ज है:
    • नाम: मंगी मकबरा
    • खसरा नंबर 753 – मकबरे के रूप में उल्लेख
  • लेकिन कुछ स्थानीय संगठन दावा कर रहे हैं कि:
    • यह शिव मंदिर था, जिसके अवशेष अब भी मौजूद हैं (जैसे त्रिशूल आकार, कमल की आकृति)।

कौन हैं पीछे?

  • मठ मंदिर संघर्ष समिति, बीजेपी जिला अध्यक्ष मुकलाल पाल और अन्य हिंदू संगठनों की सक्रिय भूमिका।
  • मकबरे में प्रार्थना की अनुमति की आधिकारिक मांग प्रशासन को सौंपी गई थी।
  • मुकलाल पाल ने खुला ऐलान किया था कि वे वहां पूजा करेंगे

राजनीतिक और सांप्रदायिक प्रतिक्रिया

  • कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बयान: “अगर मुस्लिम ऐसा करते तो गोली मारी जाती।”
  • नेशनल उलमा काउंसिल के महासचिव नसीम का आरोप: “इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की जा रही है।”

कानूनी दृष्टिकोण: Places of Worship Act, 1991

  • यह कानून कहता है: 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस स्वरूप में था, उसे वैसा ही माना जाएगा।
  • एकमात्र अपवाद: अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद) केस।

प्रशासन की जिम्मेदारी

  • कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है।
  • प्रशासन को चाहिए:
    • त्वरित और निष्पक्ष जांच
    • सांप्रदायिक तनाव को रोकना
    • सभी पक्षों को सुना जाए

क्या आगे हो सकता है?

  1. गिरफ्तारियां और चार्जशीट की प्रक्रिया
  2. संभावित कोर्ट पिटीशन – क्या सर्वे होगा?
  3. राजनीतिक ध्रुवीकरण – दोनों तरफ से बयानबाज़ी
  4. सांप्रदायिक तनाव का खतरा – सोशल मीडिया पर उकसाने की आशंका

फतेहपुर की यह घटना सिर्फ एक स्थानीय विवाद नहीं है – यह पूरे देश के लिए चेतावनी है कि अगर इतिहास को राजनीति का औजार बनाया गया, तो उसका अंजाम बाबरी दोहराव जैसा हो सकता है।
जरूरत है संविधान, कानून और सामाजिक सद्भाव पर टिके रहने की।