सर्दियों की शुरुआत होते ही शरीर में कई परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि पर्याप्त नींद स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, लेकिन नींद का सही समय भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार हेमंत ऋतु—जो कि मध्य नवंबर से मध्य जनवरी तक रहती है—में पाचन अग्नि सबसे अधिक प्रबल होती है। इस मौसम में भूख ज़्यादा लगती है और शरीर को पौष्टिक एवं गर्म आहार की आवश्यकता होती है।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय बताता है कि सर्दियों में कुछ नियमों का पालन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है। इन्हीं नियमों में एक है दिन में न सोना। आयुर्वेद कहता है कि इस मौसम में दिन में सोने से कफ दोष बढ़ता है, पाचन शक्ति कमजोर होती है और भारीपन, सुस्ती, सर्दी-खांसी तथा जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो सकती हैं। ठंडे और शुष्क वातावरण में पहले से ही कफ बढ़ने की प्रवृत्ति रहती है, ऐसे में दिन की नींद इसे और बढ़ा देती है।
आयुर्वेद यह भी बताता है कि सर्दियों में क्या खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए। इस मौसम में खट्टा, नमकीन, मीठा और घी युक्त पौष्टिक भोजन लाभदायक माना जाता है। दूध-दही, गुड़, तिल, मूंगफली, बाजरा, नए गेहूं की रोटी, गर्म सूप, हर्बल चाय, अदरक-तुलसी वाली चाय, नींबू युक्त गुनगुना पानी और तिल-गुड़ की गजक तथा मूंगफली की चिक्की स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
वहीं कड़वी, कसैली, अत्यधिक मसालेदार चीजें, फूलगोभी, आलू, ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक और बासी भोजन से दूरी रखने की सलाह दी जाती है। आयुष मंत्रालय के अनुसार सही आहार-विहार अपनाने से शरीर गर्म रहता है और इम्यूनिटी मजबूत होती है।
सर्दियों में रोज़ाना तिल या सरसों के तेल से पूरे शरीर की मालिश (अभ्यंग), गुनगुने पानी से स्नान, गर्म कपड़े पहनना और सुबह की धूप लेना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है। धूप से मिलने वाला विटामिन D न सिर्फ हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है बल्कि कफ को संतुलित करने में भी मदद करता है। साथ ही नियमित योग और व्यायाम से शरीर सक्रिय रहता है और मौसम बदलने पर होने वाली बीमारियों से रक्षा होती है।
