प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने 12% जीएसटी स्लैब हटाने के प्रस्ताव को ग्रीन लाइट दे दी है — यह इस टैक्स प्रणाली के लागू होने (जुलाई 2017) के बाद अब तक का सबसे बड़ा संशोधन होगा
प्रस्ताव के अनुसार, 12% टैक्स स्लैब के अंतर्गत आने वाले अधिकांश गुड्स को 5% या 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा
मौजूदा जीएसटी स्लैब संरचना
स्लैब | दर (%) | उदाहरण |
---|---|---|
0% | – | ताज़ा भोजन, अनब्रांडेड अनाज आदि |
5% | कुछ आवश्यक वस्तुएं | खाद्य तेल, ₹1000 तक के फुटवियर |
12% | मिड-टियर आइटम्स | प्रोसेस्ड खाद्य, मोबाइल घटक, जूस |
18% | सामान्य वस्तुएं | साबुन, टूथपेस्ट, रेस्तरां सेवाएँ |
28% | लग्ज़री/व्यसन | कार, टोबैको, वाइन |
स्पेशल रेट | 0.25–3% | आभूषण, गोल्ड आदि |
क्यों 12% स्लैब को हटाया जा रहा है?
- सरल टैक्स संरचना
- कम स्लैब = कम कंफ्यूजन
- क्लासिफिकेशन संबंधित अदालतों जाकर विवादित मामलों में कमी आएगी
- व्यापार व अंतर्राष्ट्रीय व्यापारीकरण में सुधार
- सरल टैक्स ढांचा ‘Ease of Doing Business’ को बढ़ावा देगा
- राजस्व संतुलन
- 12% नियंत्रित स्लैब जीएसटी का केवल ~5% हिस्सा उत्पन्न करता है — इसे हटाकर राजस्व असर कम होगा
- राजनीतिक-सामाजिक संतुलन
- 5% स्लैब जहाँ गरीबों के लिए राहत देगा, वहीं 18% स्लैब आसानी से समायोजित हो सकेगा
कौन से गुड्स कहाँ जा सकते हैं?
- 5% में जाने वाले:
- घी, बटर, प्रोसेस्ड स्नैक्स, जूस, मोबाइल कम्पोनेंट्स (वर्तमान 12%)
- 18% में जाने वाले:
- मोबाइल फोन (कुछ), ₹1,000 से ऊपर के रेडीमेड कपड़े, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्टिलाइज़र आदि
असर और चुनौतियां
1. उपभोक्ता दृष्टिकोण
- कुछ वस्तुओं की कीमतें घटने की संभावना — जैसे स्नैक्स, जूस।
- वहीं अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं — जैसे उच्च मूल्य की रेडीमेड, इलेक्ट्रॉनिक्स।
2. व्यापार एवं एमएसएमई
- जीएसटी क्रेडिट क्लेम, इनवॉइसिंग प्रणाली, क्लासिफिकेशन विवाद में कमी आएगी।
- कंप्लायंस और कर प्रणाली सरल होगी ।
3. राजस्व और राज्यों का दृष्टिकोण
- प्रारंभिक समय में राजस्व में उतार-चढ़ाव संभव — संक्रमण अवधि में राज्यों को नुकसान हो सकता है।
- कुछ ग्लोबल ट्रेड फ्रंट पर राजस्व का नुकसान हो सकता है, विशेषकर उन राज्यों में जहां 12% की हिस्सेदारी अधिक थी।
4. राजनीतिक चुनौतियाँ
- महंगाई को लेकर सार्वजनिक सवाल उठ सकते हैं जब 18% स्लैब में कुछ गुड्स विस्थापित होंगे।
- राज्यों में चुनावी माहौल में विरोधाभार बढ़ सकते हैं — खासकर जहाँ राजस्व नुकसान सतह पर आ रहा है।
समयरेखा (Timeline)
- PMO से in-principle मंज़ूरी मिल चुकी है
- मानसून सत्र (Parliament) के बाद, प्रस्ताव GST Council में जाएगा।
- स्वीकृति के बाद यह अप्रैल 2026 से नए FY में लागू होने की संभावना है।
निष्कर्ष
- यह कदम भारत की जीएसटी प्रणाली का अब तक का सबसे बड़ा मेगा-रिवैंप कहा जा रहा है।
- 12% स्लैब हटाने से टैक्स संरचना में साफ़गोई, व्यापार हेतु सुविधा और न्यायसंगत सिस्टम की दिशा में Fortschritt होगी।
- हालांकि राज्यों की राजस्व चिंता, उपभोक्ताओं पर संभावित असर व राजनीतिक झमेलों की चुनौतियां बनी रहेंगी।