Accounting में AI का युग शुरू, भारत बना दुनिया की उम्मीद


भारत में बनेगा एआई युग का अगला वित्तीय ब्रह्मास्त्र? एक नई रिपोर्ट ने दिखाई संभावनाओं की झलक

लेखांकन और वित्तीय कार्यों की जटिल दुनिया एक बड़े बदलाव की कगार पर है—और इसमें भारत की भूमिका केंद्रीय हो सकती है। एक्सेल के निवेशकों अनघ प्रसाद और एकनूर मल्होत्रा ने ‘SeedToScale’ पर प्रकाशित अपने हालिया लेख में यह दावा किया है कि भारत, AI-ड्रिवन अकाउंटिंग और फाइनेंस सॉल्यूशंस में वैश्विक नेतृत्व करने की स्थिति में है।

लेखांकन में एआई की क्रांति

लेख में बताया गया है कि बड़े भाषा मॉडल (LLMs) और AI-नेटिव सिस्टम अब चालान प्रोसेसिंग, लेखा समापन, समाधान और रिपोर्टिंग जैसे मुख्य वित्तीय कार्यों को अधिक तेज़ी और दक्षता से पूरा करने में सक्षम हो चुके हैं। यह बदलाव न सिर्फ प्रक्रियाओं को तेज़ करेगा, बल्कि त्रुटियों को भी न्यूनतम करेगा।

“लेखांकन वह आदर्श क्षेत्र है जहाँ एआई अपनी पूरी क्षमता के साथ तैनात हो सकता है—चाहे वह स्ट्रक्चर्ड डेटा हो या अनस्ट्रक्चर्ड,” प्रसाद और मल्होत्रा लिखते हैं।

भारत: बैक ऑफिस से फ्रंटलाइन तक

हालांकि तकनीक क्रांति का इंजन है, लेखक मानते हैं कि असली ताकत भारत है। दशकों से भारत वैश्विक कंपनियों के लिए बैक-ऑफिस का काम करता रहा है, खासकर वित्तीय संचालन में। अब, जब एआई तकनीक नए अवसरों के द्वार खोल रही है, भारत अपनी गहरी टैलेंट पूल, BPO/KPO अनुभव और एंटरप्राइज़-सॉफ़्टवेयर-प्रशिक्षित संस्थापकों के साथ इस लहर की अगुवाई कर सकता है।

वे उदाहरण देते हैं कि कैसे Freshworks और Zoho जैसे भारतीय SaaS खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्रों में ग्लोबल नाम बने, और अब AI-for-Finance अगला बड़ा क्षेत्र हो सकता है जहाँ भारत ग्लोबल गेमचेंजर कंपनियाँ बना सकता है।

“फ़ॉर्म नहीं, एजेंट बनाएं”

लेखकों का मानना है कि केवल मौजूदा वित्तीय वर्कफ़्लो में एआई जोड़ना काफी नहीं होगा। वे संस्थापकों से आग्रह करते हैं कि जड़ से नए समाधान बनाए जाएं—ऐसे उत्पाद जो सिर्फ डेटा प्रोसेसिंग न करें, बल्कि निर्णय भी ले सकें, तर्क कर सकें और खुद एक्शन ले सकें।

CFOs की ज़रूरतों के साथ मेल खाती क्रांति

ये परिवर्तन वैश्विक CFOs की ज़रूरतों से मेल खाते हैं:

  • रिपोर्टिंग स्पीड में तेजी
  • सटीकता में सुधार
  • लागत में कटौती

यह सब उस समय में हो रहा है जब फाइनेंस टीमें संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं। ऐसे में, एआई को महज़ एक टेक डेमो के रूप में नहीं, बल्कि बिज़नेस कंटिन्यूटी के मूल तत्व के रूप में देखने का वक्त आ गया है।

भारत के पास है नेतृत्व का अवसर

लेख का निष्कर्ष उत्साहजनक है:
“समस्याएं स्पष्ट हैं, समाधान तकनीकी रूप से संभव हैं—अब ज़रूरत है विज़न और निष्पादन की।”

इस रिपोर्ट से स्पष्ट संकेत मिलते हैं—यदि भारत के संस्थापक और निवेशक इस दिशा में साहसिक कदम उठाते हैं, तो अगली वैश्विक वित्तीय टेक्नोलॉजी लहर की कमान भारत के हाथ में हो सकती है।