अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने 5 सितंबर 2025 को ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में भारत को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर भारत ने रूसी तेल का आयात नहीं रोका, ब्रिक्स गठबंधन से बाहर नहीं निकला, अपने बाज़ार अमेरिकी कंपनियों के लिए नहीं खोले और डॉलर को समर्थन नहीं दिया, तो अमेरिका भारत पर भारी टैरिफ लगाने से पीछे नहीं हटेगा।
तेल से शुरू, भू-राजनीति तक पहुँची बात
यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल खरीद में तेज़ी लाई है। युद्ध से पहले यह हिस्सा 2% से भी कम था, लेकिन अब यह 40% तक पहुँच चुका है। लुटनिक का मानना है कि इससे अमेरिकी रणनीतिक और व्यापारिक हितों को चोट पहुँच रही है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा
विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का यह दबाव भारत को आर्थिक झटका ज़रूर दे सकता है, लेकिन 8% की तेज़ विकास दर के चलते भारत इस चुनौती का सामना कर सकता है। बल्कि, यह मौका नए वैश्विक गठबंधनों को जन्म भी दे सकता है, जहाँ भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से संवाद करे।
बदलते समीकरण
यह साफ है कि अमेरिका अब भारत को अपनी तरफ झुकाने के लिए आक्रामक रुख अपना रहा है। सवाल यह है कि क्या भारत दबाव में आकर झुकेगा या फिर अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर डटा रहेगा। यही आने वाले दिनों में वैश्विक शक्ति संतुलन तय करेगा।