अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस सिर्फ एक औपचारिक दिन नहीं, बल्कि यह याद दिलाने का अवसर है कि शिक्षा किसी भी समाज की रीढ़ होती है। यह वह कुंजी है जो इंसान को अज्ञानता से निकालकर जागरूकता, आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की ओर ले जाती है।
“Knowledge is power, literacy is freedom” — यह कथन आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गया है। साक्षरता केवल अक्षरों की पहचान तक सीमित नहीं, बल्कि यह सोचने, सवाल उठाने और अपने अधिकारों को समझने की ताकत देती है। जब कोई बच्चा पढ़ना-लिखना सीखता है तो वह केवल किताबों तक सीमित ज्ञान नहीं पाता, बल्कि अपने सपनों को आकार देने की क्षमता भी हासिल करता है।
आज दुनिया भर में शिक्षा को डिजिटल क्लासरूम, ऑनलाइन लाइब्रेरी और समान अवसर से जोड़ने की कोशिशें हो रही हैं। यह बदलाव केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक है। लक्ष्य यही है कि कोई बच्चा गरीबी, दूरी या संसाधनों की कमी की वजह से शिक्षा से वंचित न रह जाए।
विशेषज्ञ मानते हैं कि साक्षरता दर बढ़ने से समाज में अपराध घटते हैं, रोज़गार के अवसर बढ़ते हैं और लोकतंत्र मजबूत होता है। यही वजह है कि इस दिशा में हर कदम भविष्य को सुरक्षित बनाने जैसा है।
इसलिए अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर यह संकल्प जरूरी है कि शिक्षा को केवल नीतियों और भाषणों तक न रखा जाए, बल्कि उसे हर घर, हर गली और हर बच्चे तक पहुँचाया जाए। जब साक्षरता सचमुच जन-जन तक पहुंचेगी, तभी ज्ञान की ताकत से समाज को सच्ची स्वतंत्रता मिल पाएगी।