एसबीआई रिसर्च ने गोल्ड पर व्यापक लॉन्ग-टर्म पॉलिसी लाने की मांग की

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था में सोने की बढ़ती भूमिका को देखते हुए एसबीआई रिसर्च ने गोल्ड पर एक व्यापक और दीर्घकालिक राष्ट्रीय नीति (Long-Term Gold Policy) बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सोना केवल एक कमोडिटी या आभूषण नहीं, बल्कि भारतीय समाज के लिए सांस्कृतिक मूल्य, निवेशिक सुरक्षा और मुद्रास्फीति से बचाव का माध्यम बन चुका है। ऐसे में गोल्ड की कैटेगरी और उपयोगिता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की जरूरत है।

रिपोर्ट के अनुसार, जहां पश्चिमी देशों में गोल्ड को सार्वजनिक संपत्ति के रूप में देखा जाता है, वहीं भारत, जापान, चीन और कोरिया जैसे एशियाई देशों में सोना निजी संपत्ति और वित्तीय सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसी सांस्कृतिक जुड़ाव के कारण एशियन हाउसहोल्ड गोल्ड के नेट बायर बने रहते हैं।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि देश में पुराने सोने को रिसाइकल और मॉनेटाइज़ करने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाए, ताकि सोने की मांग को संतुलित किया जा सके और निवेश के लिए नई संभावनाएँ पैदा हों। साथ ही गोल्ड-सपोर्टेड पेंशन स्कीम जैसे वित्तीय उत्पादों को शुरू करके सोने को व्यापक वित्तीय सुधारों से जोड़ा जा सकता है।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत सोने के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के चलते वर्ष 2025 में अब तक सोने की कीमतों में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। इसके चलते गोल्ड ईटीएफ में निवेश भी तेज़ी से बढ़ा है। अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच गोल्ड ईटीएफ निवेश 2.7 गुना बढ़ा, जबकि इसका एयूएम सितंबर तक बढ़कर 901.36 अरब डॉलर हो गया, जो वार्षिक आधार पर 165% की वृद्धि दर्शाता है।