जापान और चीन के बीच तनाव एक बार फिर से उभर गया है। जापान की नवनियुक्त प्रधानमंत्री साने ताकाइची के ताइवान को लेकर दिए गए तीखे बयान के बाद दोनों देशों के रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए हैं।
जापानी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को चीन के चार सशस्त्र तटरक्षक जहाज़ सेनकाकू द्वीप समूह के पास जापानी विवादित जलक्षेत्र से गुज़रे, जिससे हालात और बिगड़ गए।
इससे एक दिन पहले चीन ने अपने नागरिकों को जापान की यात्रा से बचने की चेतावनी जारी की थी।
चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और ज़रूरत पड़ने पर उसपर नियंत्रण के लिए बल प्रयोग की धमकी भी देता रहा है। इसी बीच, 7 नवंबर को जापानी संसद में पीएम ताकाइची ने कहा कि अगर ताइवान पर सशस्त्र हमला होता है तो जापान आत्मरक्षा के तहत सैनिक भेज सकता है। यह बयान जापान की पारंपरिक नीति से बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
जापान ने 2015 में सुरक्षा कानून पारित किया था, जिसके तहत उसे सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार मिलता है। वहीं ताइवान चीन के शासन को अस्वीकार करता है और अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका के साथ समन्वय बनाए हुए है। अमेरिका ने भी क्षेत्र में अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उसने पिछले 24 घंटों में 30 चीनी सैन्य विमान, 7 नौसेना पोत और एक आधिकारिक जहाज़ को द्वीप के आसपास सक्रिय देखा है। साथ ही चीनी ड्रोन ताइवान और जापान के दूरस्थ द्वीपों के बीच उड़ते पाए गए।
पहले जापानी प्रधानमंत्री ताइवान मुद्दे पर खुलकर बयान देने से बचते रहे हैं, लेकिन पीएम ताकाइची के सीधे बयान और सोशल मीडिया पोस्ट ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है।
