भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य आसाम में हर साल बाढ़ की समस्या गंभीर रूप ले लेती है। इस बार की बाढ़ भी इससे अलग नहीं है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं और कईयों की जानें जा चुकी हैं। हर साल की तरह इस साल भी बाढ़ से बड़ी तबाही मची हुई है। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर आसाम में बाढ़ क्यों आती है, इसके प्रभाव क्या हैं, और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
वर्तमान स्थिति की भयावहता
आसाम में बाढ़ की स्थिति अत्यंत गंभीर हो चुकी है। अब तक करीब 85 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, और 35 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य के 29 जिलों में से 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। लगभग 40,000 हेक्टेयर की फसलें नष्ट हो चुकी हैं, जिससे कृषि क्षेत्र पर भारी असर पड़ा है। प्रमुख रूप से डिब्रूगढ़, गुवाहाटी, बारपेटा और धुबरी जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन क्षेत्रों में लाखों लोग बेघर हो गए हैं और उन्हें राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
बाढ़ के प्रमुख कारण
- प्राकृतिक और जलवायु संबंधी कारक: आसाम में 120 से अधिक नदियाँ हैं, जो पहाड़ियों से निकलती हैं। बारिश के मौसम में इन नदियों में जलस्तर तेजी से बढ़ता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव आ रहा है, जिससे अचानक और भारी बारिश होती है, जो बाढ़ का मुख्य कारण बनती है।
- नदियों का कटाव: ब्रह्मपुत्र नदी का कटाव लगातार जारी है, जिससे इसके किनारे कमजोर हो रहे हैं। हर साल 8,000 हेक्टेयर भूमि का कटाव होता है, जिससे बाढ़ की समस्या और बढ़ जाती है।
- अप्रभावी बाढ़ नियंत्रण प्रणाली: आसाम में बाढ़ नियंत्रण के लिए प्रभावी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। अधिकतर बाढ़ नियंत्रण संरचनाएं पुरानी हैं और उनकी क्षमता समाप्त हो चुकी है।
बाढ़ के प्रभाव
- जनजीवन पर प्रभाव: बाढ़ से लोगों के घर, कृषि भूमि, पशुधन और संपत्ति नष्ट हो जाती है। लाखों लोग बेघर हो जाते हैं और उन्हें राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ती है।
- आर्थिक नुकसान: बाढ़ के कारण आसाम में हर साल 200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होता है। 2004 में यह नुकसान 500 करोड़ रुपये तक पहुँच गया था।
- वन्य जीवों पर प्रभाव: काजीरंगा नेशनल पार्क में भी बाढ़ का भारी प्रभाव पड़ता है। इस साल अब तक 137 से अधिक वन्य जीवों की मृत्यु हो चुकी है, जिसमें 6 गैंडे भी शामिल हैं।
समाधान के प्रयास
- बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं: आसाम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने 54 बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य आसाम को बाढ़ मुक्त बनाना था। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए, इन परियोजनाओं का असर दिखाई नहीं दे रहा है।
- साइंटिफिक अप्रोच: केंद्रीय और राज्य सरकारों को बाढ़ नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। नदियों की ड्रेजिंग, मॉडर्न वेदर सिस्टम्स की स्थापना और हाइड्रोलॉजिकल डेटा का उपयोग करना आवश्यक है।
- जानकारी और शिक्षा अभियान: लोगों को बाढ़ के खतरों के बारे में जागरूक करना और सुरक्षित स्थानों पर जाने की जानकारी देना आवश्यक है। टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
- राहत और बचाव कार्य: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 543 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन दल और एनडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हुई हैं।
- लॉन्ग-टर्म प्लानिंग: आसाम में बाढ़ की समस्या को स्थायी रूप से हल करने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। इसमें नदियों की ड्रेजिंग, मजबूत बांध और तटबंधों का निर्माण, और आधुनिक बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली की स्थापना शामिल है।
भविष्य की दिशा
आसाम की बाढ़ की समस्या एक गंभीर चुनौती है, जिसे प्रभावी तरीके से निपटने की आवश्यकता है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सके। इसके लिए सामुदायिक भागीदारी, जागरूकता अभियान और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना अत्यंत आवश्यक है।
हर साल की तरह इस साल भी आसाम में बाढ़ की विभीषिका ने लोगों का जीवन प्रभावित किया है। अब समय आ गया है कि हम इससे निपटने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाएं, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
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