आज संसद में केंद्र सरकार वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि केंद्र सरकार को वक्फ एक्ट में संशोधन करने का अधिकार नहीं है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कटौती:
- प्रस्तावित विधेयक के तहत, वक्फ बोर्ड पहले की तरह किसी भी संपत्ति को स्वेच्छा से अपनी संपत्ति नहीं घोषित कर पाएंगे।
- वक्फ बोर्डों में महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य होगी।
- विधेयक के मसौदे पर कैबिनेट की मुहर:
- मोदी सरकार सोमवार को लोकसभा में वक्फ बोर्ड अधिनियम-1954 में संशोधन के लिए विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है।
- विधेयक के मसौदे पर कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
- 40 अहम संशोधन प्रस्तावित:
- सेंट्रल वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव के लिए अधिनियम की धारा 9 और 14 में संशोधन किया जाएगा।
- काउंसिल और बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा।
- विवादित संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन अनिवार्य होगा।
- संपत्ति विवादों का समाधान:
- राज्य वक्फ बोर्ड के दावे वाली विवादित जमीन का सत्यापन होगा।
- जिन संपत्तियों पर वक्फ और मालिकों के बीच विवाद है, उनका भी सत्यापन किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
विधेयक पर सियासी संग्राम तय है। भाजपा अपने सहयोगियों को साधने में जुटी है। अब तक जद-यू, लोजपा (आर), हम, अपना दल (एस) से बातचीत हो चुकी है, और टीडीपी से भी संपर्क साधा गया है।
विधेयक का विरोध:
एआईएमआईएम अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन के प्रयास को बोर्ड की स्वायत्तता खत्म करने वाला बताया है। ओवैसी ने केंद्र पर हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगाया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी विधेयक पर नाराजगी जताई है। बोर्ड प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि सरकार वक्फ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधनों के जरिये वक्फ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति को बदलना चाहती है, ताकि उन पर कब्जा करना आसान हो सके। वक्फ संपत्तियां मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए वे उपहार हैं जिन्हें धार्मिक और चैरिटी के कामों के लिए वक्फ किया गया है।
सरकार ने सिर्फ उन्हें नियंत्रित करने के लिए वक्फ एक्ट बनाया है। वक्फ एक्ट और वक्फ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है, इसलिए केंद्र सरकार इस कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती।
आज का दिन संसद में इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा और संभावित हंगामे का गवाह बनेगा। देखना यह है कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।