कोलकाता डॉक्टर डेथ केस: सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया

कोलकाता रेप मर्डर मामले में, जहां एक जूनियर डॉक्टर की दर्दनाक हत्या ने देशभर को हिला कर रख दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीरता से सुनवाई की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने रेजीडेंट डॉक्टरों की चल रही हड़ताल पर नाराजगी जताई और उन्हें तुरंत काम पर लौटने का निर्देश दिया।

हड़ताल का प्रभाव और कोर्ट का सख्त रुख

देशभर में रेजीडेंट डॉक्‍टर्स की हड़ताल के कारण चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिससे लाखों मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा कि डॉक्टरों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना चाहिए। पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने डॉक्टरों को काम पर लौटने का आदेश दिया था, लेकिन हड़ताल अभी भी जारी है।

न्याय की मांग और कोर्ट का आदेश

रेजीडेंट डॉक्‍टर्स मृतका जूनियर डॉक्‍टर के लिए न्याय और सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स रेजिडेंट डॉक्टर की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे तो उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा और कानून अपने हिसाब से कार्य करेगा। कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स को सभी हितधारकों की बात सुनने का आश्वासन भी दिया।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की आपबीती और संदेश

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी एक आपबीती भी साझा की, जब वह एक रिश्तेदार की तबीयत खराब होने पर सरकारी अस्पताल गए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें अस्पताल के फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जिससे सरकारी अस्पतालों की स्थिति और वहां की कठिनाइयों का एहसास हुआ।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे, तो इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा पूरी तरह चरमरा सकता है। समिति के गठन पर चर्चा करते हुए कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ महिला डॉक्टरों के नेतृत्व में समिति सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स, नर्सों, और पैरामेडिकल स्टाफ की बात सुनेगी और सभी के प्रतिनिधियों की समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा।

इस आदेश के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रेजीडेंट डॉक्‍टर्स इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या हड़ताल समाप्त होती है।

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