चेन्नई :- तमिलनाडू में एक बड़े राजनीतिक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। डीएमके (DMK) नेता और राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के बेटे, उधयनिधि स्टालिन ने हाल ही में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सनातन धर्म को मिटाने तक की बात कह डाली । उन्होंने कहा कि “डीएमके की स्थापना का उद्देश्य ही सनातन धर्म को मिटाना है, और हम इस उद्देश्य को पूरा करके रहेंगे।”उनके इस बयान के बाद देशभर में सनातन धर्मावलंबियों के बीच रोष फैल गया है।
यह बयान न केवल धार्मिक भावना को आहत करने वाला है, बल्कि संविधान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर भी सवाल उठाता है। सवाल यह है कि क्या एक राज्य के मुख्यमंत्री का बेटा और मंत्री इस तरह के बयान देकर संविधान का सम्मान कर रहा है?
न्यायिक हस्तक्षेप की उम्मीद 1
इस विवादित बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या इस मामले में कोर्ट स्वतः संज्ञान लेगा। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर न्यायालय ने कड़ी कार्रवाई की है। उदाहरण के तौर पर, कालीचरण महाराज द्वारा महात्मा गांधी पर दिए गए बयान और नुपुर शर्मा द्वारा इस्लाम के बारे में किए गए टिप्पणी के मामलों में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था।
नुपुर शर्मा के मामले में, उन्होंने केवल कुरान में लिखी बातों को दोहराया था, फिर भी कोर्ट ने उनके बयान पर कड़ी फटकार लगाई थी। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या उधयनिधि स्टालिन के बयान पर भी न्यायालय कठोर कार्रवाई करेगा।
धर्मनिरपेक्षता पर उठते सवाल
यह बयान एक गहरे सवाल को जन्म देता है: क्या ऐसे व्यक्ति का सत्ता में रहना लोकतंत्र के मूल्यों के साथ न्यायसंगत है, जो एक विशेष धर्म के प्रति नफरत फैलाता हो? एक लोकतांत्रिक देश में, जहां हर नागरिक को समान अधिकार प्राप्त हैं, वहां ऐसे व्यक्तियों से निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
सनातन धर्म पर बढ़ते हमले
यह पहली बार नहीं है जब सनातन धर्म को निशाना बनाया गया है। इससे तो भी उधयनिधी स्टालिन ने सनातन को मिटाने की बात कही थी उस समय उन्होंने कहा था कि सनातन डेंगू मलेरिया की तरह है और इसे समाप्त को जानी चाहिए। हाल ही के दिनों में पंजाब, मणिपुर और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी धर्मांतरण और धार्मिक भेदभाव की घटनाएं सामने आई हैं। विशेष रूप से पंजाब में धर्मांतरण का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, और कई जगहों पर सनातन धर्मावलंबियों को प्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
यह देखना बाकी है कि इस विवाद के बाद न्यायपालिका और सरकार की प्रतिक्रिया क्या होगी, और क्या उधयनिधि स्टालिन पर किसी प्रकार की कार्रवाई की जाएगी।