केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि सरकार विकास की ऐसी प्रक्रिया तैयार कर रही है जो ‘‘चुनावी चक्र से परे’’ है ताकि भारत 2047 तक मौजूदा स्तर से छह से सात गुना वृद्धि कर विकसित राष्ट्र बन सके।
भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन फाउंडेशन (आईएफक्यूएम) द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री ने कहा कि विकसित राष्ट्र के लिए सरकार के लक्ष्य का एक प्रमुख तत्व ‘‘एक बहुत ही समावेशी व सामंजस्यपूर्ण समाज’’ का निर्माण करना है।
उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए मापनीय मापदंडों के अनुसार ‘‘ 18,000 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति आय और 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर का (नॉमिनल) सकल घरेलू उत्पाद’’ का लक्ष्य रखना होगा।
वैष्णव ने कहा, ‘‘ आज, हम केवल 4000 अरब अमेरिकी डॉलर (नॉमिनल जीडीपी) से थोड़ा पीछे हैं, प्रति व्यक्ति हम करीब 3,000 अमेरिकी डॉलर पीछे हैं। इसका मतलब है कि हमारे पास एक रास्ता है जहां हमें अगले 25 वर्षों में लगभग छह गुना या सात गुना बढ़ने की जरूरत है।’’
उन्होंने साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का इरादा पिछले 10 वर्षों में रखी गई नींव पर आगे बढ़ना है।
मंत्री ने कहा कि विकसित राष्ट्र बनने से सरकार का तात्पर्य, ‘‘ सबसे पहले एक बहुत ही समावेशी व सामंजस्यपूर्ण समाज बनाना है। एक ऐसा समाज जो हर किसी की परवाह करता है, एक ऐसा समाज जो समाज के हर वर्ग को समान रूप से महत्वपूर्ण मानता है और सभी को आगे आने के अवसर देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विकसित भारत बनने का दूसरा बड़ा तत्व सामाजिक, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है।’’
वैष्णव ने कहा कि तीसरा तत्व प्रति व्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पाद के मापनीय मापदंडों को पूरा करना है ताकि निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।
इस कार्यक्रम में ही टीवीएस मोटर कंपनी के मानद चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने कहा कि भारत को वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने तथा उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं व उत्पादों के लिए एक अहम स्थान बनने के लिए ‘‘ प्रगति का अनूठा भारतीय तरीका’’ अपनाने की जरूरत है।
श्रीनिवासन भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन फाउंडेशन (आईएफक्यूएम) के चेयरमैन भी हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने आगाह किया कि यदि भारत जर्मनी, अमेरिका, जापान, कोरिया और चीन जैसे अन्य देशों का अनुसरण करता रहा तो वह दुनिया से पिछड़ता रहेगा।
श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘ हम (भारत) अतीत में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहे हैं। 700 साल पहले हमने दुनिया की अर्थव्यवस्था में एक चौथाई योगदान दिया था। हम व्यापार का एक केंद्रीय केंद्र थे, जो पश्चिम व पूर्व दोनों में भूमि मार्गों और समुद्री मार्गों पर हावी थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वहां से आज हम वस्तुओं व सेवाओं के वैश्विक व्यापार में अपने योगदान के मामले में खुद को बहुत निचले स्तर पर पाते हैं।’’