शेयर बाज़ार पर बजट का प्रभाव

आज भारतीय शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बाजार खुलते ही सेंसेक्स लगभग 700 अंक नीचे चला गया, हालांकि दिनभर में कुछ हद तक रिकवरी देखने को मिली। लेकिन अंततः सेंसेक्स में 300 से अधिक अंकों की गिरावट दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का कुल बाजार पूंजीकरण सुबह 419 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिससे बाजार को लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का झटका लगा।

बाजार में गिरावट के मुख्य कारण:

1. विदेशी निवेशकों का पूंजी निकासी (FII Outflow)

अक्टूबर 2024 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से 2.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचकर बाहर निकाल लिए हैं। इसके अलावा, बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा विदेशी निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) को 10% से बढ़ाकर 12.5% करने की घोषणा के बाद यह निकासी और तेज हो सकती है।

2. वैश्विक व्यापार तनाव (Global Trade Tension)

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मेक्सिको, कनाडा और चीन के उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। बदले में, इन देशों ने भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगा दिया है। इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर दबाव बढ़ रहा है, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है। हालांकि, भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में कमी कर दी है, जिससे भारत पर तत्काल प्रभाव कम हो सकता है।

3. डॉलर की मजबूती और रुपये में गिरावट

डॉलर इंडेक्स में अचानक वृद्धि के चलते अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ, जिससे भारतीय रुपया 87 रुपये प्रति डॉलर के पार चला गया। विदेशी निवेशकों द्वारा बाजार से पैसा निकालकर डॉलर में बदलने के कारण भी रुपया कमजोर हुआ।

4. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति

फरवरी में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होनी है, जिसमें ब्याज दरों पर फैसला लिया जाएगा। टैक्स कटौती के कारण बढ़ी हुई मांग से महंगाई बढ़ने की संभावना है, जिससे RBI रेपो रेट में कटौती करने से बच सकता है। इससे लोन और ईएमआई सस्ते होने की उम्मीदों को झटका लग सकता है।

निष्कर्ष:

भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट कई कारकों से प्रभावित है, जिसमें विदेशी निवेशकों की निकासी, वैश्विक व्यापार तनाव, डॉलर की मजबूती और आरबीआई की आगामी नीति शामिल हैं। हालांकि, बजट में दी गई कर राहत से बाजार में दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। निवेशकों को सावधानी से बाजार की गतिशीलता पर नजर रखनी होगी।

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