✍️ रिपोर्ट: विशेष प्रस्तुति
“बेटा स्कूल जा रहा है?”
“हाँ माँ, आज मैथ की क्लास है – मैं जल्दी आ जाऊंगा।”
…और फिर उस दिन वो कभी वापस नहीं आया।
यह कोई फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है, यह राजस्थान के झालावाड़ की एक असल कहानी है –
जहाँ सरकारी स्कूल की दीवार गिरने से सात मासूम बच्चों की जान चली गई। वहीं झारखंड में एक स्कूल की छत ढह गई – एक और बच्चा इस लापरवाही की बलि चढ़ गया।
🚨 हादसे जो देश को झकझोरते हैं, और फिर…
भारत में जब तक कोई त्रासदी ना हो, प्रशासन जागता नहीं। यह बयान अब कड़वा सच बन चुका है। झालावाड़ की घटना के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल सुरक्षा पर सख्त निर्देश जारी किए हैं।
📢 क्या कहा केंद्र सरकार ने?
25 जुलाई 2025 को, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन, एनसीपीसीआर, और डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के समन्वय में एक ‘अर्जेंट और बाइंडिंग एडवाइज़री’ जारी की गई। इसमें चार मुख्य निर्देश दिए गए:
1️⃣ देशभर में सभी स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट – अनिवार्य
- सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों को शामिल किया गया है।
- ऑडिट में शामिल हैं:
- भवन की स्ट्रक्चरल मजबूती
- बिजली व्यवस्था
- ड्रेनेज, सैनिटेशन
- फर्नीचर और क्लास लेआउट
- लाइब्रेरी, लैब, किचन की सुरक्षा
- यह ऑडिट प्रमाणित इंजीनियरों द्वारा कराना अनिवार्य है।
- रिपोर्ट ज़िला शिक्षा अधिकारी को सौंपनी होगी।
2️⃣ इमरजेंसी मॉक ड्रिल्स – अनिवार्य
- हर स्कूल को आग, भूकंप, दीवार गिरने जैसे आपातकाल के लिए छात्रों और स्टाफ को तैयार करना होगा।
- सभी को सिखाया जाएगा:
- फायर एक्सटिंग्विशर का प्रयोग
- फर्स्ट-एड देना
- रेस्क्यू के समय का व्यवहार
- पुलिस, फायर ब्रिगेड, हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ समन्वय ज़रूरी।
3️⃣ बच्चों की मानसिक देखभाल
- ट्रॉमा से गुज़रने वाले बच्चों के लिए काउंसलिंग सर्विस
- पीयर सपोर्ट सिस्टम और सामुदायिक भागीदारी पर ज़ोर
- स्कूल को एक सेफ और इमोशनली सपोर्टिव ज़ोन बनाने की कोशिश
4️⃣ 2021 की स्कूल सेफ्टी गाइडलाइन का अनिवार्य क्रियान्वयन
- फिजिकल, इमोशनल, लीगल सेफ्टी
- हर स्कूल में सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति
- सुप्रीम कोर्ट की सीधी निगरानी में
⚖️ कौन ज़िम्मेदार? और कैसे तय होगी जवाबदेही?
- राज्य सरकारें अब केंद्र को एक्शन टेकन रिपोर्ट देंगी।
- सबसे पहले सरकारी स्कूलों में सुधार किया जाएगा।
- एनसीपीसीआर निगरानी करेगा और उल्लंघन पर:
- क्रिमिनल केस
- प्राइवेट स्कूल का लाइसेंस रद्द
- जवाबदेह अधिकारियों पर पेनल्टी लगेगी।
🎯 लॉन्ग टर्म लक्ष्य क्या है?
लक्ष्य | समयसीमा |
---|---|
सभी स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट | 3 महीने |
जीरो स्ट्रक्चरल फेल्योर | 6 महीने |
सेफ्टी नोडल ऑफिसर की नियुक्ति | सितंबर 2025 |
ड्रिल का पाठ्यक्रम में शामिल होना | जल्द |
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
- बचपन बचाओ आंदोलन (कैलाश सत्यार्थी) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा – 2021 गाइडलाइन्स का पालन अनिवार्य
- ऑनलाइन पोर्टल पर अब स्कूलों की सेफ्टी रिपोर्ट पब्लिकली देखी जा सकेगी
📍 जमीनी हकीकत: क्यों यह ज़रूरी है?
- कई रूरल स्कूलों में खस्ताहाल बिल्डिंग्स, न मेंटेनेंस, न बजट
- सीसीटीवी से इम्प्रेशन, लेकिन स्ट्रक्चर असुरक्षित
- इमरजेंसी एक्ज़िट तक नहीं
- RTE (Right to Education) का सेफ्टी पहलू पूरी तरह उपेक्षित
👨👩👧👦 माता-पिता और छात्रों की भूमिका
- स्कूल जाएं, पूछें:
- सेफ्टी ऑफिसर कौन है?
- लास्ट सेफ्टी ऑडिट कब हुआ?
- फायर ड्रिल रिपोर्ट कहाँ है?
- शिकायत दर्ज करें – DEO या ऑनलाइन पोर्टल पर
- माँग करें: इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की ट्रांसपेरेंसी
🔚 निष्कर्ष: सिर्फ आदेश नहीं, ज़मीन पर क्रियान्वयन चाहिए
सरकारी आदेश और एडवाइज़री कागज़ों में तो कई होते हैं, लेकिन अगर सात बच्चों की मौत भी हमें न जगा सके, तो और क्या जगा पाएगा?
हर स्कूल, हर शिक्षक, हर अभिभावक और हर प्रशासक को “अब” जागना होगा, वरना अगली खबर में शायद किसी और का बच्चा… नहीं रहेगा।