बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफ़े के बाद हिंदुओं पर कहर: भीड़ ने घरों और मंदिरों को बनाया निशाना, भारत ने जताई चिंता

ढाका/नई दिल्ली, 24 जुलाई:
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के सोमवार को इस्तीफ़ा देकर देश से भागने के बाद देशभर में हालात बिगड़ते नज़र आ रहे हैं। राजधानी ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दूर नेत्रोकोना ज़िले में एक हिंदू परिवार के घर पर भीड़ ने हमला कर दिया और जमकर लूटपाट की।

ढाका में कार्यरत सामाजिक सुरक्षा विशेषज्ञ अविरूप सरकार ने बताया कि उनकी विधवा चचेरी बहन ने घबराकर फोन पर उन्हें बताया कि करीब 100 लोगों की उग्र भीड़ ने उनके संयुक्त परिवार वाले घर में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। “फर्नीचर, टीवी, दरवाजे, यहां तक कि बाथरूम की फिटिंग्स तक तोड़ दी गईं। नकदी और गहने भी ले गए,” उन्होंने बताया।

भीड़ ने यह आरोप लगाते हुए हमला किया कि घरवाले अवामी लीग के समर्थक हैं। “इस देश की हालत तुम्हारी वजह से ख़राब हुई है, तुम्हें देश छोड़ देना चाहिए,” ऐसा कहते हुए भीड़ ने पूरे घर को तहस-नहस कर दिया। हालांकि, 18 सदस्यीय परिवार में किसी को शारीरिक नुकसान नहीं पहुँचाया गया।

अविरूप सरकार ने कहा, “बांग्लादेशी हिंदू आसान निशाना हैं। हर बार जब अवामी लीग सत्ता से बाहर होती है, तो हम पर हमले होते हैं।”

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सोशल मीडिया पर हिंदू संपत्तियों और मंदिरों पर हमलों की खबरें तेजी से फैल रही हैं। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को संसद में बताया, “सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि अल्पसंख्यकों, उनके व्यवसायों और मंदिरों पर भी हमले हुए हैं। स्थिति की पूरी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।”

हालांकि कुछ मुस्लिम युवा संगठनों ने हिंदू घरों और मंदिरों की रक्षा के लिए कदम भी उठाए हैं, जिससे कई स्थानों पर और हिंसा रोकी जा सकी।

यह पहला मौका नहीं है जब अविरूप सरकार के परिवार पर हमला हुआ हो। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उनकी बहन के घर को भी भीड़ ने निशाना बनाया था। ऐसे धार्मिक हमलों की लंबी सूची रही है।

बांग्लादेशी मानवाधिकार संगठन “ऐन ओ सालिश केंद्र” के मुताबिक, जनवरी 2013 से सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर 3,679 हमले दर्ज किए गए, जिनमें तोड़फोड़, आगजनी और लक्षित हिंसा शामिल हैं।

2021 में दुर्गा पूजा के दौरान और उसके बाद भी कई हिंदू मंदिरों और घरों पर हमले हुए थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने तब कहा था:
“बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उनके पूजा स्थलों की बर्बादी यह दिखाती है कि राज्य अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है।”

हालात गंभीर बने हुए हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर नज़र बनाए हुए है।