अमेरिका में लाखों भारतीय-अमेरिकी नागरिक एक बडे़ संकट का सामना कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश, जिसे “प्रोटेक्टिंग द मीनिंग एंड वैल्यू ऑफ अमेरिकन सिटीजनशिप” नाम दिया गया है, के कारण यह संकट उत्पन्न हुआ है। इस आदेश के अनुसार, बर्थराइट सिटीजनशिप को समाप्त करने का प्रस्ताव है। यह नियम उन लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है जिन्हें अमेरिका की नागरिकता उनके जन्म के आधार पर मिली थी।
बर्थराइट सिटीजनशिप: इसका इतिहास और महत्व
बर्थराइट सिटीजनशिप का मूल आधार अमेरिका का 14वां संशोधन है। यह संशोधन 1868 में अमेरिका के सिविल वॉर के बाद लागू हुआ था और इसका उद्देश्य उन सभी लोगों को नागरिकता प्रदान करना था, जिनका जन्म अमेरिका में हुआ हो, चाहे उनके माता-पिता की नागरिकता कुछ भी हो। इसे “ज्यूस सोली” (Right of the Soil) कहा जाता है। यह नियम अमेरिका को अन्य देशों से अलग करता है। उदाहरण के लिए, भारत में नागरिकता मुख्य रूप से “ज्यूस सैंजुइनिस” (Right of Blood) पर आधारित है, जहां माता-पिता की नागरिकता को प्राथमिकता दी जाती है।
ट्रंप का तर्क और आदेश
डोनाल्ड ट्रंप का दावा है कि 14वें संशोधन की व्याख्या गलत तरीके से की गई है। उनका मानना है कि यह नियम विदेशी नागरिकों और अवैध प्रवासियों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। ट्रंप के अनुसार, कई लोग जानबूझकर अमेरिका में अपने बच्चों को जन्म देते हैं ताकि उन्हें नागरिकता मिल सके। इसे “बर्थ टूरिज्म” के रूप में संदर्भित किया जा रहा है।
उनके आदेश के अनुसार, 30 दिनों के भीतर यह नीति लागू हो जाएगी, जिससे उन सभी बच्चों की नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी, जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।
भारतीय-अमेरिकी समुदाय पर प्रभाव
2024 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में 47.8 मिलियन विदेशी नागरिक हैं, जिनके बच्चे अमेरिका में जन्म के कारण नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। इनमें भारतीय मूल के लगभग 1.45 लाख लोग शामिल हैं। इसके अलावा, अमेरिका में 5.4 मिलियन भारतीय-अमेरिकी नागरिक हैं, जिनमें से एक-तिहाई लोग अमेरिकी जन्म के आधार पर नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं।
यह आदेश इन लाखों भारतीय-अमेरिकियों के लिए बड़ी चिंता का कारण है, विशेष रूप से उन परिवारों के लिए जो वैध तरीके से अमेरिका में बसे हैं और जिनके बच्चे वहां के नागरिक हैं।
कानूनी चुनौतियां
हालांकि, ट्रंप के आदेश को लागू करना आसान नहीं होगा। अमेरिका में संविधान संशोधन करना अत्यंत कठिन प्रक्रिया है। इसके लिए दोनों सदनों – हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट – में दो-तिहाई बहुमत के साथ प्रस्ताव पास होना चाहिए। इसके अलावा, 50 में से 37 राज्यों की स्वीकृति भी आवश्यक है।
पहले ही इस आदेश को चुनौती देते हुए अदालत में मुकदमा दायर किया जा चुका है। यह मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है, जहां 14वें संशोधन की वैधता पर पुनर्विचार किया जाएगा।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम न केवल कानूनी चुनौतियों का सामना करेगा, बल्कि यह लाखों परिवारों के जीवन को भी अस्थिर कर सकता है। बर्थराइट सिटीजनशिप पर रोक लगाने का उनका प्रयास अमेरिका की पारंपरिक आव्रजन नीति और इसके मूल्यों पर सवाल खड़ा करता है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय और अन्य प्रवासी समूहों को इसके खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी।