वैश्विक स्तर पर डेटा सेंटरों की बिजली मांग 2025 में 16 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, और 2030 तक यह दोगुनी हो सकती है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।
गार्टनर के अनुसार 2025 में डेटा सेंटर का वैश्विक बिजली उपभोग 448 टेरावाट-घंटे (TWh) से बढ़कर 2030 तक 980 टेरावाट-घंटे तक पहुंच सकता है। गार्टनर की रिसर्च डायरेक्टर लिंगलान वांग ने कहा कि पारंपरिक सर्वर और इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ तेजी से बढ़ते AI-ऑप्टिमाइज्ड सर्वर बिजली खर्च में तेजी से इजाफा कर रहे हैं।
2025 में कुल बिजली उपयोग में AI सर्वरों की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2030 तक बढ़कर 44 प्रतिशत हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 में AI सर्वर डेटा सेंटर की अतिरिक्त बिजली मांग के 64 प्रतिशत हिस्से के लिए जिम्मेदार होंगे।
वैश्विक बिजली मांग में अमेरिका और चीन की संयुक्त हिस्सेदारी दो-तिहाई (66 प्रतिशत) से अधिक रहने की संभावना है। चीन अधिक पावर-एफिशिएंट सर्वर और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग के कारण लागत नियंत्रण में रहने की बेहतर स्थिति में बताया गया है।
अमेरिका में डेटा सेंटर बिजली उपभोग 2025 के 4 प्रतिशत से बढ़कर 2030 तक 7.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जबकि यूरोप का उपयोग 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीन हाइड्रोजन, जियोथर्मल और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर जैसे क्लीन ऑन-साइट पावर विकल्प उभर रहे हैं और दशक के अंत तक डेटा सेंटर माइक्रोग्रिड के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा विकल्प बन सकते हैं।
अल्पकाल में प्राकृतिक गैस मुख्य ऊर्जा स्रोत बनी रहेगी। अगले 3 से 5 वर्षों में सौर और पवन ऊर्जा की उतार-चढ़ाव को संतुलित करने के लिए बैटरी स्टोरेज सिस्टम में तेज वृद्धि की भी संभावना जताई गई है।
