अब तक यह कहा जाता रहा है कि गंगा स्नान से पाप धुलते हैं या मंत्रों के जाप से मानसिक शांति मिलती है—बहुतों के लिए यह सिर्फ अंधविश्वास लगता था। लेकिन ताज़ा वैज्ञानिक शोध इस सोच को चुनौती दे रहा है।
लखनऊ स्थित सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च की एक स्टडी में पता चला है कि जब कोई व्यक्ति गीता, रामायण या वैदिक श्लोक सुनता है, तो मस्तिष्क के कई हिस्से सक्रिय हो जाते हैं। एमआरआई स्कैन से यह देखा गया कि श्लोक सुनने पर वही क्षेत्र जागृत होते हैं जो संगीत सुनते समय या नई तस्वीरें देखने पर सक्रिय होते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह प्रक्रिया डिप्रेशन और एंज़ायटी को कम करने में मददगार हो सकती है।
मस्तिष्क में दो प्रमुख नेटवर्क होते हैं—डिफॉल्ट मोड नेटवर्क और अटेंशन मोड नेटवर्क। जब हम चिंता और तनाव में होते हैं तो डिफॉल्ट मोड नेटवर्क हावी रहता है, जिससे नकारात्मक विचार बढ़ते हैं। वहीं, श्लोक सुनते समय यह नेटवर्क शांत होता है और अटेंशन मोड नेटवर्क मजबूत होता है। नतीजा यह कि विचारों की भागदौड़ थमने लगती है और मन स्थिर होने लगता है।
शोध में पाया गया कि श्लोक सुनने वालों के मस्तिष्क के चार हिस्से—कॉर्डेट, ऑक्सीपिटल, फ्रंटल और पैराइटल क्षेत्र—विशेष रूप से सक्रिय हुए। ये वही हिस्से हैं जो संज्ञानात्मक क्षमता और स्मृति के लिए अहम माने जाते हैं। दिलचस्प बात यह भी रही कि संस्कृत नहीं जानने वाले लोगों में यह प्रभाव बहुत कम दिखाई दिया।
वैज्ञानिक मानते हैं कि संस्कृत श्लोक स्मृति को मज़बूत करने और बुज़ुर्गों में डिमेंशिया जैसी बीमारियों को रोकने में सहायक हो सकते हैं। विदेशों में भी कई शोध इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। 2016 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और 2022 में अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने पाया था कि “ॐ” या अन्य मंत्रों का जाप मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है।
विडंबना यह है कि जिन श्लोकों का असर आज विज्ञान भी मान रहा है, उन्हें भारत में कई लोग अब भी अंधविश्वास कहकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जबकि आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश में करीब 20 करोड़ लोग मानसिक रोगों से जूझ रहे हैं, जो पूरी दुनिया का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है।
सनातन धर्म मन को ही छठी इंद्री मानता है, जो अन्य इंद्रियों से अधिक शक्तिशाली है। मन को नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन यही नियंत्रण मानसिक शांति की कुंजी है। अब वैज्ञानिक प्रमाण दे रहे हैं कि गीता, रामायण और वैदिक श्लोक मन और मस्तिष्क दोनों को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।