केंद्र सरकार करेगी एआई-आधारित ईकेवाईसी शामिल

केंद्र सरकार डिजीलॉकर को एआई-बेस्ड ईकेवाईसी और ग्लोबल क्रेडेंशियल वेरिफिकेशन से लैस कर पेपरलेस गवर्नेंस के वैश्विक मॉडल के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।

इस सप्ताह ‘डिजीलॉकर – एनाब्लिंग पेपरलेस एक्सेस फॉर ऑल’ विषय पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में भारत में सुरक्षित डिजिटल सर्विस डिलीवरी, पेपरलेस गवर्नेंस और इंक्लूसिव एजुकेशन को बढ़ाने में डिजीलॉकर की भूमिका पर चर्चा की गई।

“डिजीलॉकर भरोसे की डिजिटल लेयर”

मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि डिजीलॉकर नागरिकों, मंत्रालयों और सरकारी विभागों के बीच एक ट्रस्ट लेयर के रूप में कार्य करता है।
उन्होंने बताया कि यह प्लेटफॉर्म सुरक्षित, इंटरऑपरेबल और जवाबदेह डिजिटल गवर्नेंस को सक्षम कर रहा है।

कृष्णन ने कहा कि भारत की डिजिटल यात्रा

कनेक्टिविटी से क्षमता,

सर्विस डिलीवरी से आत्मनिर्भरता, और

अब डिजिटलीकरण से भरोसे की ओर बढ़ रही है।

उन्होंने स्पष्ट कहा:
“हमारा विजन एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है, जहां हर डिजिटल इंटरैक्शन भरोसेमंद और नागरिकों को सशक्त बनाने वाला हो।”

डिजीलॉकर “डिजिटल ट्रस्ट क्रांति” का केंद्र

मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने डिजीलॉकर को भारत की डिजिटल ट्रस्ट क्रांति का प्रमुख आधार बताया।
उन्होंने कहा कि यह प्लेटफॉर्म लाखों नागरिकों को सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और विश्वास हासिल करने में मदद कर रहा है।

नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) के प्रेसिडेंट नंद कुमारम ने कहा कि डिजीलॉकर अब सिर्फ डॉक्यूमेंट स्टोरेज प्लेटफॉर्म नहीं है, बल्कि डिजिटल इंडिया के मुख्य स्तंभों में से एक बन चुका है।
यह नागरिकों को आईडी, वित्तीय प्रमाणपत्र और शैक्षणिक दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से एक्सेस, वेरिफाई और शेयर करने की सुविधा देता है।

राज्यों को सम्मान भी मिला

कॉन्फ्रेंस में डिजीलॉकर को अपनाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्यों को ‘डिजीलॉकर एक्सेलरेटर’ के रूप में सम्मानित किया गया।
असम को ‘इंटीग्रेशन एक्सीलेंस’ पुरस्कार मिला, डिजीलॉकर को विभिन्न सरकारी सेवाओं में सफलतापूर्वक लागू करने, सुरक्षा बढ़ाने और पारदर्शिता स्थापित करने के लिए।