हिंदी दिवस: अपनी भाषा में आत्मसम्मान का संदेश

14 सितम्बर का महत्व
हर साल 14 सितम्बर को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और सम्मान केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और सांस्कृतिक पहचान का विषय है।

मूल भाषा की ताकत
महात्मा गांधी ने चेताया था कि विदेशी भाषा के दबाव में शिक्षा लेने से सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होती है। उनका मानना था कि अंग्रेज़ी शिक्षा करोड़ों भारतीयों को गुलामी की मानसिकता में डाल देती है। यह विचार आज भी उतना ही प्रासंगिक है जब बच्चे अंग्रेज़ी में दक्ष होने को ही सफलता का पैमाना मानने लगे हैं।

वर्तमान संदर्भ
आज हिंदी दुनिया की बड़ी भाषाओं में शामिल है। तकनीक, सोशल मीडिया और सिनेमा ने इसे नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। फिर भी, कामकाज और पढ़ाई में अंग्रेज़ी की अनिवार्यता के कारण हिंदी का प्रयोग अक्सर सीमित हो जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि मातृभाषा में पढ़ाई करने वाले बच्चे ज्यादा रचनात्मक और आत्मविश्वासी बनते हैं।

संदेश
हिंदी दिवस केवल भाषाई गर्व का उत्सव नहीं, बल्कि यह सोचने का मौका भी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को किस दिशा में ले जा रहे हैं। विदेशी भाषा सीखना गलत नहीं, पर अपनी भाषा को कमतर समझना ज़रूर चिंता का विषय है।