नई दिल्ली, 25 जुलाई – भारत और ब्रिटेन के बीच चल रही मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में बड़ा मोड़ आया है, जहाँ भारत ने प्रमुख रोज़गार सृजन क्षेत्रों — जैसे कपड़ा, जूते, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पाद — के लिए बाज़ार पहुँच हासिल कर ली है, वहीं ब्रिटेन इन क्षेत्रों पर 20% तक के टैरिफ को समाप्त करने जा रहा है।
भारतीय वार्ताकारों ने खाद्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। भारत लगभग 99.7% खाद्य टैरिफ लाइनों पर शुल्क समाप्त करने के लिए ब्रिटेन पर दबाव बनाने में सफल रहा, जिनमें कई पर वर्तमान शुल्क 70% तक थे। इसके अंतर्गत समुद्री भोजन, डेयरी और मांस उत्पाद जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों को प्रमुख राहत मिली है, जहाँ अब 20% तक का शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया है।
इसके बदले में, भारत ने ब्रिटिश कंपनियों को सार्वजनिक खरीद निविदाओं में भाग लेने की छूट दी है। साथ ही, उच्च टैरिफ वाले ऑटोमोबाइल और मादक पेय उद्योगों को भी चरणबद्ध रूप से खोलने पर सहमति जताई है।ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि इससे ब्रिटेन के विविध विनिर्माण क्षेत्रों — विशेष रूप से एयरोस्पेस (11% से शून्य), ऑटोमोटिव (110% से 10%), और इलेक्ट्रिक उत्पादों को बड़ा लाभ होगा।
स्कॉच व्हिस्की का ऐतिहासिक संदर्भ भी बना चर्चा का हिस्साइस व्यापार समझौते में मादक पेय को लेकर हुई चर्चा के दौरान स्कॉटलैंड की प्रसिद्ध व्हिस्की ‘अक्वा विटे’ का ऐतिहासिक संदर्भ भी वार्ता के इर्द-गिर्द उभरा। इसका सबसे पहला उल्लेख 1494 में स्कॉटिश राजकोष की एक प्रविष्टि में दर्ज है, जिसमें एक पादरी ‘जॉन कॉर’ को व्हिस्की बनाने के लिए माल्ट दिए जाने का उल्लेख है।
15वीं और 16वीं सदी में यह पेय सिर्फ राजघराने और कुलीन वर्ग तक सीमित था। किंतु जैसे-जैसे आसवन तकनीक में सुधार होता गया, इसका उत्पादन और उपयोग दोनों में वृद्धि हुई। 1578 के “क्रॉनिकल्स ऑफ इंग्लैंड, स्कॉटलैंड एंड आयरलैंड” में इसका उल्लेख “स्वास्थ्यवर्धक औषधीय पेय” के रूप में किया गया था।
निष्कर्षतः, भारत और ब्रिटेन के बीच यह व्यापारिक सहमति न सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आयामों को भी जोड़ती है — एक ऐसा संधि-पथ जहाँ व्यापार, इतिहास और साझेदारी एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।—अगर आप चाहें तो इस समाचार को एक ब्रीफ संस्करण या टीवी न्यूज़ स्क्रिप्ट में भी बदल सकता हूँ।