50% टैरिफ का पलटवार, भारत ने अमेरिकी कंपनियों पर कसा शिकंजा

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनातनी अब नए मोड़ पर पहुँच गई है। अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाया था। उसका अंदाज़ा था कि इस कदम से भारत दबाव में आ जाएगा। लेकिन नतीजा बिल्कुल उलटा निकला।

भारत ने जवाब में अमेरिकी कंपनियों पर सीधी चोट की। सरकार ने आदेश जारी कर दिया कि कोका-कोला और पेप्सी जैसी दिग्गज विदेशी कंपनियों पर अब भारत में पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। यह फैसला आते ही शेयर बाज़ार में झटके लगे और अमेरिकी बेवरेज कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

सरकार ने साफ कर दिया है कि अब भारत का बाज़ार विदेशी पेय पदार्थों के लिए नहीं, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के लिए होगा। यानी आने वाले समय में देश के बाज़ार में नींबू पानी, गन्ने का रस, छाछ और नारियल पानी जैसी प्राकृतिक और देसी पेय को बढ़ावा मिलेगा।

इस फैसले के साथ ही भारत ने अमेरिका के अन्य उत्पादों—जैसे सोयाबीन और कैलिफ़ोर्निया बादाम की खेप—को भी वापस लौटा दिया। संदेश साफ है: अब भारत अपने किसानों और अपनी कंपनियों पर भरोसा करेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि वह भारत पर इतने टैरिफ लगाएंगे कि “भारत का सर घूम जाएगा”। भारत ने इस बयान को अपमानजनक मानते हुए करारा जवाब दिया और अमेरिकी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

दिलचस्प बात यह है कि भारत के इस कदम को कई देशों का समर्थन मिला है। रूस ने यहां तक कह दिया कि अब भारत को डॉलर पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है। भारत और रूस आपसी व्यापार रुपए और रूबल में कर सकते हैं।

यह फैसला केवल आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्तर पर भी बदलाव का संकेत है। अब यह जिम्मेदारी हर भारतीय की है कि वे स्वदेशी उत्पादों को अपनाएँ और विदेशी कंपनियों के प्रभाव से बाहर निकलें।

भारत ने साफ संदेश दिया है—अब इस मिट्टी पर विदेशी दादागिरी नहीं चलेगी।